10 वर्षीय राहुल के रेस्क्यू ऑपरेशन के रियल हीरो-1: जिन्होंने बोरवेल में फंसे राहुल का दिखाया चेहरा…बिना फीस एक कॉल पर वॉटरप्रूफ कैमरा लेकर पहुंचे…बोले- एक मकसद, किसी तरह राहुल सुरक्षित बाहर आए
जांजगीर-चांपा। जिले में बोरवेल में गिरे 10 साल के राहुल को बचाने की जद्दोजहद चौथे दिन भी जारी है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में लगा हर व्यक्ति, जवान, अफसर और आम नागरिक अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहा है। इनमें ही ऐसे लोग भी हैं, जो इन चार दिनों से गुमनाम हैं, लेकिन वह इस रेस्क्यू ऑपरेशन के रियल हीरों हैं। इससे जुड़े कुछ ऐसे ही रियल हीरों की कहानियां और उनके हौसलों को आपके लिए लेकर आ रहे हैं।
80 फीट गहरे बोरवेल के अंदर करीब 60 फीट में राहुल फंसा हुआ है। उसकी अंदर क्या स्थिति है। उसमें हलचल है या नहीं, इसकी जिम्मेदारी नरेंद्र कुमार चंद्रा की है। छत्तीसगढ़ से ही जैजैपुर के नरेंद्र यह काम NDRF के साथ मिलकर बिना स्वार्थ के कर रहे हैं। वह वाटर प्रूफ कैमरा लगाकर राहुल की हर गतिविधियों को दिखाते हैं। इसके लिए उन्होंने कोई धनराशि भी नहीं ली है। रियर हीरो की पहली कहानी उन्हीं नरेंद्र कुमार चंद्रा की….
वॉटर प्रूफ कैमरा लेकर पहुंचे नरेंद्र
चंद्रा बोरवेल के संचालक नरेंद्र कुमार चंद्रा शुक्रवार रात से वहां डटे हुए हैं। उन्होंने बताया कि स्थानीय प्रशासन ने उन्हें रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए इसलिए बुलाया, क्योंकि उन्हें पता था कि हमारा बोरवेल का काम है और हमारे पास वाटरप्रूफ कैमरा है। इसकी मदद से हम राहुल की गतिविधियों को देख सकते हैं। इसकी जानकारी मिलते ही नरेंद्र चंद्रा वाटर प्रूफ कैमरा सहित पूरा सामान लेकर पहुंच गए।
जब वे पहुंचे तो डॉक्टरों की टीम के साथ ही NDRF पहुंच चुकी थी। राहुल को नीचे ऑक्सीजन दी जा रही थी। नरेंद्र बताते हैं कि उन्होंने रस्सी की मदद से कैमरे को बोर के नीचे उतारा। करीब 60 फीट नीचे जाने के बाद कैमरे के बाहर लगे मॉनिटर में राहुल नजर आने लगा। जिसके जरिए राहुल की हर एक्टिविटी पर निगरानी रखी जा रही है और उस तक केला, जूस, ORS घोल पहुंचाया जा रहा।
कैमरे में नजर आ रहा था राहुल का मूवमेंट
63 फीट गहरे बोर में कैमरा ही एकमात्र सहारा था, जिसकी मदद से राहुल पर नजर रखी जा रही थी। डॉक्टरों की टीम के साथ NDRF के अफसर, जवान, कलेक्टर, SP सहित रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल विशेषज्ञ कैमरे के माध्यम से ही राहुल की गतिविधियों का आंकलन कर रहे थे। NDRF की टीम ने जब प्लान A पर काम शुरू किया, तब कैमरे की मदद से ही पता चला कि वह सफल नहीं हो पा रहा है।
सिर्फ एक ही मकसद, राहुल सुरक्षित बाहर आ जाए
मीडिया से बातचीत में नरेंद्र चंद्रा ने कहा कि उन्हें बताया कि गया कि एक बच्चा 80 फीट गहरे बोर में गिर गया है। उनके पास वाटरप्रूफ कैमरा था। लिहाजा, कैमरा नीचे उतारने के लिए पूरा सामान और मॉनिटर लेकर बिना देरी किए वे तत्काल पिहरीद गांव पहुंच गए। उन्होंने बताया कि मेरा उद्देश्य पैसा कमाना नहीं है। सिर्फ एक ही मकसद है कि किसी भी तरह से राहुल सुरक्षित बाहर निकल जाए।
63 फीट नीचे गिरने के बाद भी राहुल को नहीं लगा चोट
नरेंद्र ने बताया कि कैमरे में राहुल की हर एक्टिविटी नजर आ रही है। बोर के नीचे 6 इंच पानी भी नजर आ रहा है। राहुल के हाथ पैर-पानी में डूबे हुए हैं। इसके चलते उसके शरीर में कीचड़ और मिट्टी लग गई है। कैमरे की मदद से उस तक केला, जूस और ऑक्सीजन सहित जरूरी चीजें पहुंचाई जा रहीं और उसकी एक्टिविटी पर नजर रखी जा रही है।
नरेंद्र के साथ 60 घंटे से तैनात है NDRF के 2 जवान
वाटरप्रूफ कैमरा और बोरवेल का काम देख रहे नरेंद्र चंद्रा के पहुंचने के पहले ही NDRF आंध्र प्रदेश के जवान बी अनिल और महाराष्ट्र के कापसे एल बी शुक्रवार की रात से ही जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम पिहरीद पहुंच गए थे। दोनों जवान बोर के बाहर कैमरा संभालकर राहुल की हर गतिविधियों पर नजर रख रहे थे।
दोनों राहुल का हर पल ख्याल भी रख रहे थे। राहुल का मूवमेंट शांत होने पर दोनों जवान बार-बार आवाज लगाकर रस्सी के सहारे राहुल तक केला, जूस सहित अन्य सामग्री पहुंचा रहे थे। करीब 60 घंटे से दोनों जवान बोरवेल के बाहर लगातार बैठे रहे। राहुल के रेस्क्यू ऑपरेशन में इन्होंने उसके स्वास्थ्य का ख्याल रखने में अहम भूमिका निभाई।
ये है नेशनल डिजास्टर फोर्स (NDRF)
राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल यानी NDRF प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं के लिए विशेष प्रतिक्रिया के प्रयोजन के लिए गठित किया गया है। NDRF का गठन डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत सन 2006 में वैधानिक प्रावधान के अंतर्गत प्राकृतिक आपदा और मनुष्य निर्मित आपदा से निपटने के लिए किया गया था।
इसमें BSF, CRPF, इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस और CISF के जवान पांच साल के लिए डेप्यूटेशन पर आते हैं। आपदा प्रबंधन प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाओं के दौरान जीवन और संपत्ति की रक्षा करने और आपदा के प्रभाव को कम करने के लिए विशेष तैयारी की प्रक्रिया है। आपदा प्रबंधन सीधे खतरे को खत्म नहीं करता है बल्कि यह योजना बनाकर जोखिम को कम करने में मदद करता है।