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रायपुर। शहरी गरीबों और प्रवासी मजदूरों को सरकार सस्ते किराए पर मकान उपलब्ध कराएगी। इसके साथ ही, बिजली-पानी व अन्य मूलभूत सुविधाएं भी दी जाएंगी। प्रदेश में ऐसे 2166 मकान हैं। 740 मकान ऐसे हैं, जिनका निर्माण चल रहा है।
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रायपुर में सर्वाधिक 942 मकान खाली हैं। छोटे-बड़े शहरों के मुताबिक इन मकानों का किराया तय किया जाएगा। राजधानी में 300-400 रुपए तक किराए का मकान उपलब्ध हो सकता है, जबकि नगर पालिका और पंचायतों के स्तर पर किराया कम होगा। कोरोना के बाद केंद्र सरकार ने जेएनएनयूआरएम या राजीव आवास योजना के तहत शहरी गरीबों के लिए बने खाली मकानों को बेहद कम किराए पर लोगों को उपलब्ध कराने के लिए किफायती किराया आवास योजना शुरू की है। इस योजना के अंतर्गत उन लोगों को बिजली-पानी आदि मूलभूत सुविधाओं के साथ मकान उपलब्ध कराना है, जो गांव या दूसरे शहरों से मजदूरी करने आते हैं।
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इसी तरह शहरी गरीब जिनके अपने मकान नहीं हैं और झोपड़ी बनाकर रहते हैं, उन्हें भी सस्ते किराए पर सुविधायुक्त मकान दिया जाना है। जानकारी के मुताबिक पूरे देश में सवा लाख से ज्यादा मकान खाली हैं। इनमें मेट्रो सिटी के अलावा बड़े व्यापारिक शहर भी शामिल हैं। इसके अंतर्गत मजदूरी तलाश में आने वाले लोगों को औद्योगिक क्षेत्र या आसपास ही आवास उपलब्ध कराना है, जिससे झोपड़ी में रहने की मजबूरी न हो। इस तरह स्लम एरिया बसने से रोका जा सकेगा। साथ ही, मकानों का इस्तेमाल भी किया जा सकेगा। इस संबंध में नगरीय प्रशासन विभाग ने सभी नगर निगम के कमिश्नर व नगर पालिका व पंचायतों के सीएमओ को पत्र लिखा है।
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आय प्रमाण पत्र दिखाना होगा
किफायती किराया आवास योजना अंतर्गत देश के किसी भी शहर में लोग मकान किराए पर ले सकेंगे। इसमें शहरी गरीबों के साथ मिडिल इन्कम ग्रुप के लोग भी शामिल होंगे। हालांकि इसके लिए गरीबी रेखा कार्ड या आय प्रमाण पत्र दिखाना होगा, जिसके आधार पर मकान किराए पर उपलब्ध कराया जाएगा। इस तरह पात्र लोगों को ही यह सुविधा मिल पाएगी।
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लोगों से मिलने वाले किराए से ही करेंगे मेंटेनेंस
बड़े या छोटे शहरों के मुताबिक किराया तय किया जाएगा। राजधानी में मकान का जो किराया होगा, उसके विपरीत नगर पालिका व नगर पंचायतों में कम किराया होगा। स्थानीय निकायों द्वारा केंद्र की गाइडलाइन के मुताबिक किराया तय किया जाएगा। शहरी विकास संचालनालय के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर सतीश वर्मा के मुताबिक किराए की राशि से ही संबंधित परिसर का मेंटेनेंस किया जाएगा। इससे पहले स्थानीय ठेकेदारों से मकानों का मेंटेनेंस कराया जाएगा। इस तरह जहां मकान अधूरे हैं या कोई टूट-फूट है, उसे ठीक किया जाएगा। इसकी प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इसके बाद निकायों के स्तर पर खाली मकानों को किराए पर उपलब्ध कराने के लिए प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
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