भारत मे कार कंपनियों के आए अच्छे दिन: इस साल बिक सकते हैं रिकॉर्ड 35.5 लाख व्हीकल्स…बेस मेटल्स के दाम 20% तक गिरे
नई दिल्ली। लंबी वेटिंग के बीच कच्चे माल के दामों में कमी से इस साल देश की ऑटो इंडस्ट्री के अच्छे दिन वापस लौटने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। अनुमान है कि इस साल कारों की रिकॉर्ड बिक्री होगी। इसका फायदा खरीदारों को डिस्काउंट या ऑफर्स के रूप में मिल सकता है।
दाम घटने से मैन्युफैक्चरर का ग्रॉस मार्जिन बढ़ने की उम्मीद
बीते 3 सालों में देश की ऑटो इंडस्ट्री को लॉकडाउन, कच्चे माल की कीमतों में इजाफा, सप्लाई चेन की दिक्कत, सेमीकंडक्टर और अन्य कॉम्पोनेंट की किल्लत, महंगे फ्यूल जैसी कई परेशानियों का सामना करना पड़ा है। हालांकि अब, बीते महीने स्टील, एल्युमिनियम, कॉपर, पैलेडियम की कीमतों में 10-20% की कमी आई है। कार को बनाने में 70% हिस्सेदारी इन्हीं मेटल्स की होती है। इनके दाम घटने से मैन्युफैक्चरर का ग्रॉस मार्जिन बढ़ने की उम्मीद है।
सेमीकंडक्टर की किल्लत भी काफी हद तक दूर हो गई है, यानी प्रोडक्शन में समस्या नहीं है। दूसरी तरफ, देश में कारों का बैकलॉग 6 लाख से ज्यादा है, इसमें से आधा अकेले मारुति सुजुकी का है। ऐसे में कार कंपनियों के सामने डिमांड की भी कोई समस्या नहीं है। पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज घटने से इनकी कीमतों में कमी आई है। इससे खरीदारों का सेंटीमेंट सुधरा है। जानकार इन सब फैक्टर्स को ऑटो इंडस्ट्री के अच्छे दिनों की शुरुआत मान रहे हैं।
सप्लाई की किल्लत और चिप संकट खत्म हो रहा
मारुति सुजुकी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर शशांक श्रीवास्तव ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा कि पैसेंजर कारों की बिक्री के लिए यह साल ऐतिहासिक रहने की उम्मीद है। 2017-18 के 32.8 लाख कारों की बिक्री के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए इस साल 33.5-35.5 लाख कारें बिक सकती हैं। हालांकि, दाम में कमी की गुंजाइश नहीं है।
ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट संजीव गर्ग कहते हैं, ‘सप्लाई की किल्लत और चिप संकट भी धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। व्हीकल्स की कीमतों में कमी की संभावना भले नहीं है, लेकिन कंपनियां ऑफर्स और डिस्काउंट के जरिए ग्राहकों को फायदा देने की कोशिश जरूर करेंगी।’