बिलासपुर

Bilaspur High Court: एक बार रिजल्ट घोषित होने के बाद रद्द नहीं किया जा सकता: हाई कोर्ट

बिलासपुर। सरपंच चुनाव के लिए एक बार निर्वाचन अधिकारी ने किसी प्रत्याशी को निर्विरोध घोषित कर दिया है। फिर उसे रद्द नहीं किया जा सकता। इस स्थिति में चुनाव प्रक्रिया से बाहर किए गए प्रत्याशी प्रकरण में चुनाव याचिका दायर कर निर्वाचन की प्रक्रिया को चुनौती दे सकते हैं। हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में सरपंच के निर्विरोध निर्वाचन को सही ठहराया है। साथ ही निर्वाचन अधिकारी द्वारा कराए गए चुनाव को निरस्त कर दिया है।

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वर्ष 2019 में हुए पंचायत चुनाव में जगदलपुर के परपा क्षेत्र के ग्राम पंचायत कुम्हारवांड में भी चुनाव हुआ। इसके तहत सरपंच पद के लिए दशमीबाई बेलसरिया ने भी नामांकन पत्र जमा की थी। उनके विस्र्द्ध में सरपंच पद के लिए उदयकुमार नाग व पूरन भारद्वाज ने भी नामांकनपत्र जमा किया था। इस दौरान दशमीबाई ने अपने विरोधी उम्मीदवारों के नामांकनपत्र निरस्त करने के लिए आपत्ति आवेदन प्रस्तुत की। इसे स्वीकार करते हुए चुनाव अधिकारी ने दोनों के नामांकनपत्र को निरस्त कर दिया।

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इसके साथ ही नोटिस चस्पा कर दशमीबाई को सरपंच पद के लिए एकमात्र योग्य उम्मीदवार की घोषणा की। फिर उन्हें निर्विरोध सरपंच घोषित कर प्रमाणपत्र भी जारी कर दिया। लेकिन, उसी दिन एसडीएम ने बिना किसी सूचना के नामांकन निरस्त करने वाले उम्मीदवारों के पुनरीक्षण आवेदन के आधार पर चुनाव प्रक्रिया शुरू कर दी। इसके तहत उनके नामांकन पत्र को स्वीकार भी कर लिया गया।

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चुनाव अधिकारी के इस निर्णय के खिलाफ दशमीबाई ने हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की, जिसे हाई कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस तरह के मामले में चुनाव याचिका दायर की जा सकती है। इस बीच चुनाव हुआ और दशमीबाई पराजित हो गई। तब दशमी बाई ने हाई कोर्ट में अपने वकील रोहित शर्मा के माध्यम से चुनाव याचिका दायर की।

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इसमें उन्होंने निर्विरोध निर्वाचन की जानकारी दी। साथ ही कोर्ट को बताया कि उनके निर्वाचन को अवैधानिक रूप से रद किया गया है। चुनाव अधिकारी ने उन्हें एक बार निर्विरोध सरपंच घोषित किया है, तब चुनाव याचिका दायर कर चुनौती दी जा सकती थी। लेकिन, ऐसा नहीं किया गया। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला दिया है और उनके निर्विरोध निर्वाचन को सही ठहराया है।

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