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राष्ट्रपति पद के लिए BJP का दांव: महिला या आदिवासी पर मंथन…रेस में आनंदी, अनुसुइया और द्रौपदी के नाम सबसे आगे

नई दिल्ली। अगले महीने की 25 तारीख को देश को नया राष्ट्रपति मिलेगा। नामांकन प्रक्रिया चल रही है। 29 जून को पर्चा भरने की आखिरी तारीख है। इस बीच सरकार और विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति प्रत्याशियों के नामों पर मंथन शुरू हो चुका है। राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार को लेकर विपक्ष की तरफ से तो कई नामों की चर्चा हो रही है, लेकिन किसी नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है। विपक्ष की ओर से कई नेता राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनने से साफतौर पर इनकार कर चुके हैं, जबकि सत्ता पक्ष ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं।

भाजपा में महामहिम बनाने की रेस में महिला, मुस्लिम, दलित या दक्षिण भारत की किसी हस्ती के नाम पर विचार किया जा रहा है, जिससे 2022-23 में होने वाले विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों को साधने में आसानी हो सके। यह देखना दिलचस्प होगा कि जिन नामों पर चर्चा हो रही है, उनमें से कोई एक नाम सामने आता है या हर बार की तरह इस बार भी पार्टी कोई नया नाम लेकर सामने आती है।

आदिवासी: देश में अब तक आदिवासी समुदाय का कोई व्यक्ति राष्ट्रपति नहीं बन पाया है। महिला, दलित, मुस्लिम और दक्षिण भारत से आने वाले लोग राष्ट्रपति बन चुके हैं, लेकिन आदिवासी समुदाय इससे वंचित रहा है। ऐसे में यह मांग उठती रही है कि दलित समाज से भी किसी व्यक्ति को देश के सर्वोच्च पद पर बैठाया जाए।

लोकसभा की 543 सीटों में से 47 सीट ST श्रेणी के लिए आरक्षित है। 60 से अधिक सीटों पर आदिवासी समुदाय का प्रभाव है। मध्य प्रदेश, गुजरात, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में आदिवासी वोटर निर्णायक स्थिति में हैं। ऐसे में आदिवासी नाम पर भी चर्चा चल रही है।

महिला: महिलाएं भाजपा के लिए कोर वोट बैंक बन चुकी हैं। इस वोट बैंक को साधने की भाजपा की कोशिश जारी है। बताया जा रहा है कि महिलाओं के नाम पर सबसे तेजी से विचार किया जा रहा है। इसमें UP की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल शामिल हैं। आनंदी बेन पीएम नरेंद्र मोदी की करीबी मानी जाती हैं।

आनंदी बेन के अलावा पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके भी इस रेस में शामिल बताई जा रही हैं। इन दोनों में से किसी एक को राष्ट्रपति बनाने की स्थिति में भाजपा एक तीर से दो निशाने लगा सकती है। पहला यह कि इससे आदिवासी समाज को साधने में आसानी होगी और दूसरा महिलाओं में भी मैसेज जाएगा।

अनुसइया उइके मूल रूप से छिंदवाड़ा की हैं और 1985 से मध्य प्रदेश से राजनीति में सक्रिय हैं। उन्होंने दमुआ से विधायक का चुनाव जीता था। वह बीजेपी की राज्यसभा सांसद भी रह चुकी हैं। राजनीति में आने से पहले वह छिंदवाड़ा के शासकीय महाविद्यालय में तीन साल तक इकोनॉमिक्स की लेक्चरर भी रही हैं।

झारखंड की नौंवी राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के रायरंगपुर से विधायक रह चुकी हैं। वह पहली ओडिया नेता हैं जिन्हें राज्यपाल बनाया गया। इससे पहले बीजेपी-बीजेडी गठबंधन सरकार में साल 2002 से 2004 तक वह मंत्री भी रहीं।

दक्षिण भारत: भाजपा दक्षिण भारत में अपना विस्तार करना चाह रही है। इसके लिए पार्टी दक्षिण भारत से किसी शख्स को राष्ट्रपति बनाकर संदेश देने की कोशिश कर सकती है। ऐसे में आंध्र प्रदेश से आने वाले उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू सबसे मजबूत विकल्प हैं। हालांकि, दक्षिण भारत से आने वाले और भी कुछ नेता हैं, जिनके नाम पर चर्चा चल रही है।

मुस्लिम: पिछले कुछ दिनों से हिंदू-मुस्लिम विवाद जारी है। इस विवाद को खत्म करने के लिए भाजपा पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम जैसे प्रत्याशी की तलाश कर रही है, लेकिन पार्टी को फिलहाल ऐसा चेहरा नजर नहीं आ रहा है।

हालांकि, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के नाम की भी चर्चा है, जो UP के बुलंदशहर के रहने वाले हैं। तीन तलाक, CAA जैसे मामलों पर आरिफ हमेशा भाजपा के लिए ढाल बने रहे, लेकिन सूत्रों के मुताबिक उन्हें राष्ट्रपति की बजाय भाजपा उपराष्ट्रपति का प्रत्याशी बना सकती है। इसके जरिए दुनिया में यह मैसेज देने की कोशिश रहेगी कि पार्टी मुस्लिम विरोधी नहीं बल्कि तुष्टिकरण विरोधी है।

25 जुलाई को ही खत्म होता है राष्ट्रपति का कार्यकाल

नीलम संजीव रेड्‌डी ने देश के 9वें राष्ट्रपति के तौर पर 25 जुलाई 1977 को शपथ ली थी। तब से हर बार 25 जुलाई को ही नए राष्ट्रपति कार्यभार संभालते आए हैं। रेड्‌डी के बाद ज्ञानी जैल सिंह, आर वेंकटरमन, शंकरदयाल शर्मा, केआर नारायणन, एपीजे अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल, प्रणब मुखर्जी और रामनाथ कोविंद 25 जुलाई को शपथ ले चुके हैं।

देश के दो राष्ट्रपतियों का पद पर रहते हो चुका है निधन

देश में दो राष्ट्रपति ऐसे भी रहे, जिनका देहांत राष्ट्रपति पद पर रहते हुए निधन हो चुका है। इसमें तीसरे राष्ट्रपति जाकिर हुसैन और सातवें राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद शामिल हैं। जाकिर हुसैन 13 मई 1967 से 3 मई 1969 के बीच ही राष्ट्रपति रहे थे। उनके देहांत के बाद उपराष्ट्रपति वीवी गिरि को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था।

इसी तरह से सातवें राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद 24 अगस्त 1974 से 11 फरवरी 1977 तक ही अपने पद पर रहे। बीच में देहांत होने के कारण बीडी जत्ती को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाना पड़ा था।

ये रहे कार्यवाहक राष्ट्रपति

राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के देहांत के बाद तत्कालीन उपराष्ट्रपति वीवी गिरि को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस मुहम्मद हिदायतुल्ला को राष्ट्रपति चुना गया। जबकि, फखरुद्दीन अली अहमद के निधन के बाद तत्कालीन उपराष्ट्रपति बीडी जत्ती को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था।

विपक्ष को नहीं मिल रहा राष्ट्रपति प्रत्याशी

विपक्ष को राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी नहीं मिल रहा है। NCP प्रमुख शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस के मुखिया फारूक अब्दुल्ला और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के बाद अब महात्मा गांधी के पौत्र और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी ने भी राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनने के विपक्ष का ऑफर को ठुकरा दिया है। गांधी ने स्पष्ट किया है कि वे विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार नहीं बनेंगे।

अब सवाल यह है कि विपक्ष की ओर से अगला नाम कौन? पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी को लेकर लगातार प्रयास कर रही हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पा रही। कांग्रेस ने भी अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं।

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Pradeep Sharma

SNN24 NEWS EDITOR

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