जांजगीर चांपा

मड़वा पॉवर प्लांट के राखड़ में फंसकर मर रहे मवेशी: जिम्मेदारों ने मूंदी आंखें…प्लांट प्रबंधन इस दिशा में नहीं उठा रहा कारगर कदम

जांजगीर-चांपा जिला मुख्यालय के करीब तेंदूभांठा-मड़वा ताप विद्युत गृह के राखड़ को आसपास के गांवों में डंप किया जा रहा है। इन राखड़ों में फंसकर गांव के मवेशी अपनी जान गंवा रहे हैं। ग्रामीणों को इस बात का पता लगने पर मवेशियों को निकाला जा रहा है। लेकिन प्लांट प्रबंधन इस दिशा में कारगर कदम नहीं उठा रहा है। जिसके चलते लोग परेशान हैं।

गौरतलब है कि तेंदूभांठा मड़वा ताप विद्युत गृह का जर्वे, सरखों के बीच राखड़ डेम है। इसके बाद भी डेम के अलावा आसपास के गांव सिवनी, सरखों, औंरईकला सहित अन्य गांवों में प्लांट के राखड़ को डंप किया जा रहा है। जिसमें मवेशी फंस रहे हैं। ऐसे स्थानों में मवेशी फंसते देख लोग निकाल रहे हैं, लेकिन जहां पर लोगों की नजरें नहीं पड़ रही है वहां मवेशी असमय काल के गाल में समा रहे हैं। कुछ ऐसी शिकायत हाल ही में सिवनी, सरखों औंरईकला सहित अन्य गांवों में मिली है। जहां पर राखड़ डंप है और मवेशी मर चुके हैं। विभागीय सूत्रों का कहना है कि जहां-जहां पर राखड़ डंप किया जा रहा है उसके ऊपर मिट्टी भी पाटना है लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है। जिसके चलते हालात बिगड़ते जा रहे हैं। बारिश के दिनों में यही राखड़ दलदल बन जा रहा है जिसमें मवेशियाें के फंसकर मौतें हो रही है।

ऐेसे बने गड्ढे, जहां पाट रहे राखड़

इन दिनों ग्रामीण अंचलों में फोरलेन सड़कें बन रही है। इसके लिए मिट्टी की जरूरत पड़ रही है। गांवों की मिट्टी को सरपंचों द्वारा सड़क ठेकेदारों द्वारा बिक्री की जा रही है। जिससे गांवों के मैदानी इलाकों में तालाब जैसे गड्ढे बनते जा रहा है। अब इन गड्ढों को पाटने के लिए भी उद्योगों से पैसे ली जा रही है। अब ऐसे भारी भरकम गड्ढों में राखड़ डंप किया जा रहा है। जिसमें फंसकर मवेशी मर रहे हैं। वहीं गांव के जिम्मेदार सरपंच मूकदर्शक बने हुए हैं। प्लांट का राखड़ मवेशियों का काल बनता जा रहा है।

मड़वा पॉवर प्लांट द्वारा बिना किसी सूचना के गांवों में राखड़ डंप किया जा रहा है। इसकी शिकायत जिला प्रशासन से की गई है बावजूद अफसर चुप्पी साधे हैं। जिसके चलते ग्रामीणों में आक्रोश है। - कुसुम कमल साव, जिला पंचायत सदस्य
गड्ढों को पाटने के लिए राखड़ का इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन राखड़ के ऊपर मिट्टी भी पाटना है। ताकि गड्ढे भर जाएं। इन गड्ढों में यदि मवेशी फंसकर मर रहे हैं तो गंभीर बात है।अब तक कहीं भी मवेशी मरने की सूचना नहीं है। - बसंत शाहजीत, पीआरओ, तेंदूभांठा-मड़वा ताप विद्युत गृह
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Pradeep Sharma

SNN24 NEWS EDITOR

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