बिलासपुर। किसी भी शासकीय कर्मचारी के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज है तो उसके खिलाफ विभागीय जांच की प्रक्रिया नहीं चलाई जा सकती। हाई कोर्ट ने आरक्षक के खिलाफ दर्ज आपराधिक प्रकरण के साथ विभागीय जांच करने के मामले में यह आदेश दिया है। साथ ही याचिकाकर्ता आरक्षक के खिलाफ विभागीय जांच नहीं करने का आदेश दिया है।
दुर्ग जिले के भिलाई स्थित हाउसिंग बोर्ड कालोनी निवासी विक्रम सिंह उट्टी आरक्षक के पद पर कार्यरत हैं। उनके विरुद्ध खुर्सीपार थाने में अपराधिक प्रकरण दर्ज है। इसके चलते दुर्ग के पुलिस अधीक्षक ने उन्हें निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया। इसके साथ ही उनके खिलाफ विभागीय जांच करने के भी आदेश दिए गए। एसपी के निर्देश पर आरक्षक के खिलाफ विभागीय जांच की कार्रवाई शुरू हो गई।
इससे परेशान आरक्षक ने अपने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय व दीपिका सन्न्ाट के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। इसमें विभागीय जांच की कार्रवाई को चुनौती दी गई है। मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पांडेय व सन्न्ाट ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज और पुलिस जांच कर रही है। इसके साथ ही उनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है। जबकि, दोनों प्रकरणों की जांच में साक्ष्य व गवाह समान है।
याचिका में बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार यदि किसी शासकीय कर्मचारी के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कर जांच की जा रही है तो उनके खिलाफ विभागीय जांच की कार्रवाई नहीं की जा सकती। इस तरह की दोहरी कार्रवाई को नियम विस्र्द्ध बताया गया है। हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता आरक्षक के खिलाफ दर्ज आपराधिक प्रकरण में समस्त अभियोजन साक्षियों का कथन नहीं हो जाता है तब तक याचिकाकर्ता के खिलाफ विभागीय जांच नहीं करने का आदेश दिया है।