छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बदला राजस्व मंडल का फैसला…अग्रवाल परिवार को माना वारिस…जानिए पूरा मामला

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के दानवीर दाऊ कल्याण सिंह की जमीन विवाद को लेकर राजस्व मंडल के फैसले को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता को उनके परिवार का वारिस मानते हुए उनके दावों पर विचार करने की आवश्यकता बताई है। कुछ दिन पहले कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

राजस्व मंडल बिलासपुर ने छत्तीसगढ़ के दानवीरों में पहले नंबर पर दर्ज भाटापारा ग्राम तरेंगा के दाऊ कल्याण सिंह अग्रवाल की संपत्ति को राजसात कर शासकीय राजस्व अभिलेख में दर्ज करने का आदेश दिया है। साथ ही कहा है कि यदि किसी भूमि स्वामी की बिना संतान मौत हो जाती है तो ऐसी स्थिति में छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता के अनुसार वाद भूमि को शासकीय मद में दर्ज करने का प्रविधान है।

राजस्व मंडल के इस फैसले को चुनौती देते हुए अनूप अग्रवाल ने अपने वकील पंकज अग्रवाल के माध्यम से हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इसमें उन्होंने अपने आप को दाऊ कल्याण सिंह का वारिस बताते हुए उनकी संपत्ति का वाजिब हकदार बताया है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी की एकलपीठ में हुई।

प्रकरण की सुनवाई के बाद मार्च के अंतिम सप्ताह में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। हाई कोर्ट में चल रही इस याचिका पर भाटापारा समेत तरेंगा व आसपास के ग्रामीणों व अन्य लोगांे की नजरें लगी हुई हंै। दाऊ कल्याण सिंह की संपत्ति खरीदने वालों ने मकान व दुकान भी बना लिया है। राजस्व मंडल ने दाऊ का कोई वारिस न होने के कारण संपत्ति को राजसात करने का आदेश जारी कर दिया है।

इसके साथ ही दाऊ की संपत्ति को अपने कब्जे में लेने कलेक्टर रायपुर व बलौदाबाजार-भाटापारा को निर्देशित भी कर दिया है। इस बहुचर्चित प्रकरण में हाई कोर्ट ने फैसला दे दिया है। युगलपीठ ने अपने फैसले में राजस्व मंडल के आदेश को निरस्त कर दिया है। इसके साथ ही याचिकाकर्ता को दाऊ कल्याण का वारिस मानते हुए उनके दावे पर विचार करने की आवश्यकता बताई है।

क्या है मामला

दाऊ कल्याण सिंह ने पहली पत्नी जनकनंदनी से कोई संतान नहीं होने पर सरजा देवी से दूसरा विवाह किया था। सरजा से भी कोई संतान नहीं हुई। राजस्व मंडल के आदेश में राममूर्ति अग्रवाल के नाम का जिक्र है, जिन्होंने सरजा की मृत्यु के बाद फर्जी तरीके से अपने नाम पर मुख्तियारनामा बनवा लिया। राजस्व मंडल ने 19 नवंबर 2020 को दाऊ की संपत्ति राजसात करने का फैसला सुनाया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *