सक्ती के भू-माफिया एवं स्टाम्प वेंडर जगदीश बंसल के एक के बाद एक नए कारनामे उजागर हो रहे हैं, किंतु स्थानीय प्रशासन की उदासीनता एवं ठोस कार्यवाही नहीं किए जाने से उच्च स्तर पर कार्यवाही की जा रही है ।
दिसंबर 2020 मे करीब 30 एकड़ बेनामी प्रॉपर्टी जप्त की गई है, राजस्व मंडल बिलासपुर ने बुधराम मांझी के मामले मे एफ. आई. आर.कराने की पुष्टि की है, और अब छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग ने रामलखन गोंड़, प्रताप सिंह पोर्ते, जगदीश बंसल, टेकराम एवं पटवारी धनेश राम कुर्रे के विरुद्ध भारतीय दंड विधान की धारओं सहित अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत कार्यवाही करना सुनिश्चित किए जाने हेतु जांजगीर चांपा कलेक्टर एवं उप पंजीयक सक्ती को पत्र लिखा है ।
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग रायपुर मे बिसाहीन बाई पिता लोधुराम कंवर, ग्राम किरारी तहसील सक्ती जिला जांजगीर चांपा के द्वारा लिखित मे शिकायत की गई थी, शिकायत पर गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग अधिनियम 1995 के अध्याय 3 की धारा 9 एवं 10 (क) के तहत संज्ञान मे लेकर उभय पक्ष के द्वारा प्रस्तुत कथन साक्ष्य दस्तावेज के आधार पर गैर आदिवासी द्वारा आदिवासियों के नाम पर बेनामी क्रय-विक्रय करना पाया गया है।
आवेदिका बिसाहीन बाई पिता लोधुराम निवासी ग्राम किरारी तहसील सक्ती जिला जांजगीर- चांपा से प्रताप सिंह पोर्ते वल्द रामशरण निवासी ग्राम गिदमुडी़ तहसील पोड़ी-उपरोडा़ जिला-कोरबा एवं रामलखन गोंड़ वल्द गणेश राम निवासी ग्राम केरीबंधा, जगदीश बंसल वल्द रामफल निवासी सक्ती जिला जांजगीर चांपा के नाम पर दर्ज करा कर अवैध रूप से हड़प लिया गया है ।
जगदीश बंसल, टेकराम एवं पटवारी धनेश राम कुर्रे ग्राम टेंमर तहसील सक्ती, जिला जांजगीर चांपा के द्वारा आयोग मे उपस्थित होकर भूमि मुख्तियार नामा कहते हुए आदिवासी राम लखन गोंड़ पिता गणेश राम के नाम से फर्जी बेनामी क्रय विक्रय किया गया है, दिनांक 24/09/2013 भूमि खसरा नंबर 154/1 रकबा 1.01 एकड़ भूमि क्रय किया गया एवं प्रताप सिंह पोर्ते के नाम से भूमि खसरा नंबर 154/1 रकबा 1.00 एकड़ भूमि की लिखापढी़ दिनांक 01/08/2013 को किया गया है ।
आयोग के पूछताछ मे अनावेदक रामलखन गोंड़ एवं प्रताप सिंह पोर्ते द्वारा कब-कब और किससे राशि कैसे भुगतान किया गया एवं आय का साधन एवं भुगतान करने की तिथि एवं बैंक का आहरण से मिलान आदि दस्तावेज देने मे असमर्थ रहे, इससे बेनामी क्रय विक्रय होना सही पाया गया है ।
आयोग मे प्रकरण का निराकरण होने तक अनावेदक प्रताप सिंह पोर्ते एवं राम लखन की पैतृक भूमि को छोड़कर 2001 के बाद आदिवासी भूमि को स्वयं अथवा किसी के माध्यम से क्रय की गई भूमि को गैर आदिवासी/ आदिवासी को विक्रय करने की अनुमति से प्रतिबंधित किया गया है ।
उक्त प्रकरण मे मजिस्ट्रेट जांच एवं पुलिस से जांच करते हुए अनावेदक राम लखन गोंड़, प्रताप सिंह पोर्ते, जगदीश बंसल, टेकराम एवं पटवारी धनेश राम कुर्रे के विरुद्ध भादवी की धाराओं के तहत एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत कार्यवाही करना सुनिश्चित किया जावे ।
प्रकरण क्रमांक 15/2018 दिनांक 29/01/2021 को विभिन्न धाराओं एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति एक्ट के अंतर्गत कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया गया है किंतु समाचार लिखे जाने तक उक्त सभी व्यक्तियों के विरुद्ध कोई भी मामला पंजीबद्ध नहीं हुआ है ।