कोरबा के आम की बहार: दशहरी, आम्रपाली की मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र तक मांग…5 साल में डबल पैदावार
कोरबा। करतला के दशहरी और आम्रपाली आम की मांग इस बार बढ़ी है। 2 साल से कोरोना संक्रमण की वजह से किसान लोकल मार्केट पर ही निर्भर थे। इस बार संक्रमण समाप्त होने के बाद महाराष्ट्र के नागपुर और मुंबई किसान भोपाल से डिमांड आई है।
पेड़ों में इस बार आम की फसल अच्छी है। इस वजह से 5 साल बाद अब किसानों की आज भी दोगुनी हो गई है। पहले 25 से 30 कमाई होती थी अब 40 से 50 हजार तक हो गई है। करतला ब्लॉक की 30 से अधिक गांवों के किसान दशहरी और अन्य प्रजाति के आम की पैदावार लेते हैं।
इसके अलावा कोरबा और और पोड़ीउपरोड़ा ब्लॉक में भी आम की पैदावार शुरू की गई है। किसान आम की अच्छी कीमत मिले इसकी वजह से सहकारी समिति के माध्यम से बेचते हैं। पहले भी रायपुर, बिलासपुर, भिलाई और नागपुर तक दशहरी आम की आपूर्ति की जाती थी। लेकिन कोरोना की वजह से लोकल मार्केट पर ही निर्भर थे। इस साल फिर रायपुर, बिलासपुर, भिलाई के साथ हुई भोपाल नागपुर दिल्ली और मुंबई आम भेजेंगे।पिछले साल 350 टन तक आम का उत्पादन हुआ था।
इस साल 400 टन से अधिक पैदावार होने की संभावना है। यहां की दशहरी आम की डिमांड इसलिए भी है क्योंकि कैमिकल से नहीं पकाते। पारंपरिक पद्धति से पकाने के बाद बाजार में भेजते हैं। जिसकी वजह से बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। पिछली बार 40 से 45 रुपए प्रति किलो तक आम बिका था। इस बार 80 से 90 रुपए तक आम बिक रहा है। किसान अब आम की तोड़ाई भी शुरू कर चुके हैं। दशहरी के अलावा आम्रपाली, मल्लिका और राजापुरी समेत अन्य प्रजाति आम की पैदावार लेते हैं।
50 हजार आम के पेड़, एक पेड़ से 5 से 50 किलो तक पैदावार
ब्लॉक के 30 से अधिक गांवों में 50 हजार से अधिक आम के पेड़ लगे हुए हैं। नाबार्ड के सहयोग से हर साल पौधे लगाए जा रहे हैं। एक पेड़ में 5 से 50 किलो तक आम की पैदावार होती है। पेड़ों की उम्र जैसे-जैसे बढ़ रही है वैसे-वैसे पैदावार में बढ़ोतरी होती है। इस बार अधिक पैदावार होने से किसानों में उत्साह है।
आम की फसल अच्छी, डिमांड के बाहर भेज रहे
महामाया बहुद्देशीय सहकारी समिति के अध्यक्ष लाखन सिंह राठिया का कहना है कि इस बार आम की अच्छी पैदावार है। दूसरे राज्यों में डिमांड के अनुसार आम भेज रहे हैं। लगभग 1900 किसान हैं। एक किसान 45 से 50 हजार तक आम से कमाई कर रहा है। आम के पेड़ जितने पुराने होते जा रहे हैं उतना ही अधिक फल लगता है
निट्रो रिच नाम से अचार भी बाजार में पहुंचा रहे किसान
निट्रो रिच के नाम से अचार भी बाजार में पहुंचा रहे सहकारी समिति के नाम से यहां के किसान अचार का भी पैकेजिंग कर मार्केट में पहुंचा रहे हैं। किसानों के मुताबिक हर साल 4 से 5 टन तक अचार की खपत हो रही है। आम के अचार की डिमांड भी अब बढ़ती जा रही है। इसके लिए समिति से जुड़ी महिलाएं काम करती हैं।