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नवगठित रायगढ़ रेंज के DIG ने सक्ती जिला का किया दौरा: आईपीएस राम गोपाल गर्ग ने कहा – साइबर क्राइम रोकना होगी प्राथमिकता…आगामी चुनाव को लेकर भी हुई चर्चा

छत्तीसगढ़ के नवगठित रायगढ़ रेंज के नव पदस्थ उप पुलिस महानिरीक्षक राम गोपाल गर्ग ने पदभार ग्रहण करने के बाद आज सक्ती जिले का दौरा किया। राम गोपाल गर्ग छत्तीसगढ़ कैडर के 2007 बैच के आईपीएस ऑफिसर है। उन्होंने अभी हाल ही में नवगठित रायगढ़ रेंज का डीआईजी बनाया गया है। रायगढ़ रेंज में अभी फिलहाल 3 जिलों सक्ती, रायगढ़ और जशपुर को शामिल किया गया है।

सक्ती जिले के दौरे पर पहुंचे उप पुलिस महानिरीक्षक राम गोपाल गर्ग ने SNN24 से खास बातचीत की। उन्होंने कहा कि उनके लिए क्षेत्र अभी नया है। वह अभी क्षेत्र का निरीक्षण कर यहां होने वाले अपराधों के बारे में जानने की कोशिश कर रहे है। उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता साइबर क्राइम रोकने की होगी। साथ ही क्षेत्र में बढ़ते क्राइम के ग्राफ को कम करने पर वे विशेष ध्यान देंगे। राम गोपाल गर्ग ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय में कलेक्टर और एसपी के साथ आगामी चुनाव को लेकर भी चर्चा की।

कौन है आईपीएस राम गोपाल गर्ग

आईपीएस राम गोपाल गर्ग छत्तीसगढ़ कैडर के 2007 बैच के आईपीएस ऑफिसर है। वह पंजाब के भटिंडा के रहने वाले हैं। उनके पिता की छोटी सी कपड़े की दुकान थी। वे दो भाई व दो बहन है। दसवीं तक की पढ़ाई उन्होंने एक प्राइवेट स्कूल से पंजाबी मीडियम में की। फिर 11वीं व 12वीं फिजिक्स, केमेस्ट्री, गणित विषयों के साथ शासकीय इंटर कॉलेज से की। रामगोपाल गर्ग को कॉमर्स विषय में रुचि थी। लेकिन उनके पिता चाहते थे कि उनका एक पुत्र इंजीनियर बने। इसलिए रामगोपाल गर्ग ने गणित विषय चुना। पंजाब में इंजीनियरिंग में एडमिशन के लिए होने वाली पंजाब कॉमन एंट्रेंस टेस्ट में रामगोपाल गर्ग ने 38वा रैंक हासिल किया था। उन्होंने थापर इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के चलते उनके पिता ने उन्हें पढ़ाने के लिए लोन भी लिया था।

हालांकि प्रतिभावान रामगोपाल गर्ग को अच्छे मार्क्स लाने पर स्कॉलरशिप मिल गई। स्कॉलरशिप से कॉलेज की फीस तो चुका दी जाती थी, लेकिन अन्य खर्चों के लिए लोन की राशि काम आई। इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने के दौरान ही रामगोपाल गर्ग का सलेक्शन मोटरोला कंपनी में हो गया। अपने पैरों पर खड़ा होने व पिता का लोन चुकाने के लिए उन्होंने बेंगलुरु में जाकर मोटोरोला कंपनी में ज्वाइन कर लिया और 2 सालों तक वहां जॉब किया। इस दौरान उन्होंने पिता का लोन चुका दिया। फिर वापस पंजाब के भटिंडा में घर लौट कर अपनी यूपीएससी की तैयारी शुरू की। यूपीएससी मेंस में उनका एक सब्जेक्ट मैथ्स तो वही दूसरा सब्जेक्ट पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन था। शुरुआत की दो असफलताओं के बाद तीसरे प्रयास में उन्हें 152वा रैंक प्राप्त हुआ और वे आईपीएस के लिए चुने गए। जिसके बाद उन्हें छत्तीसगढ कैडर अलॉट हुआ।

आईपीएस रामगोपाल गर्ग ने मास्टर डिग्री ऑफ पुलिसमैन की डिग्री उस्मानिया यूनिवर्सिटी हैदराबाद से की। पीजी साइबर लॉ की डिग्री उन्होंने पुणे यूनिवर्सिटी से ऑनलाइन प्राप्त की। आईपीएस राम गोपाल गर्ग 2008 में राजनांदगांव जिले में प्रशिक्षु आईपीएस थे। गरियाबंद में 2011 में नक्सली हमले में अन्य जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद उन्हें गरियाबंद जिले का एसपी बनाकर भेजा गया। यह उनका पहला जिला था। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि हमले में शहीद जवानों के अलावा एक जवान मिसिंग था जिसे खोजना। वह जवान सकुशल बरामद कर लिया गया। यहां रामगोपाल गर्ग ने 23 माह बिताए। अपने पोस्टिंग के दौरान रामगोपाल गर्ग ने जिले के अंदरूनी क्षेत्रों में 6 नए थाने खोलें। व नक्सल गतिविधियों में अंकुश लगाया। गरियाबंद के बाद कोरिया जिले में 6 माह एसपी रहे। फिर बालोद जिले में 3 माह एसपी रहे। बालोद के बाद एक साल तक पीएचक्यू में एसआईबी के एसपी रहे। राम गोपाल गर्ग एक साल तक राज्यपाल बलरामजी दास टंडन की परिसहाय भी रहे।

2015 में आईपीएस गर्ग केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सीबीआई में एसपी के पद पर चले गए। इस दौरान वह दिल्ली व चंडीगढ़ में पदस्थ रहे। उन्होंने कई आर्थिक अपराध व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर सीबीआई को सौंपे गये केसों की जांच की। सीबीआई में रहने के दौरान उन्होंने डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम के मामले की जांच कर उसकी कुंडली निकाल, ऐसी तगडी चालान बनाई कि सबूतों और जांच रिपोर्ट के आधार पर पंचकूला की सीबीआई की विशेष अदालत ने गुरमीत राम रहीम को दोषी करार दिया। प्रतिनियुक्ति से छत्तीसगढ़ कैडर लौटने के बाद आईपीएस राम गोपाल गर्ग अंबिकापुर रेंज के आईजी बनाए गए। हाल ही में उन्हें नवगठित रायगगढ़ रेंज का प्रभार सौंपा गया है।

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