एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में ड्रोन तकनीक की एंट्री: कृषि विवि के कुलपति ने कहा- फूड प्रोसेसिंग, फूड टेक्नोलॉजी, वेल्यू एडिशन जैसे कोर्स भविष्य की उम्मीदें हैं
रायपुर। पिछले कुछ साल में प्रदेश में एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग की पढ़ाई में छात्रों की दिलचस्पी कम हो रही है। हर साल की काउंसिलिंग में 30 से 40 फीसदी सीटें खाली रह जा रही हैं। यही वजह है कि अब इसके कोर्स में बड़े बदलाव हो रहे हैं। नौकरी और कंपनियों की डिमांड के अनुसार नई टेक्नोलॉजी को इस कोर्स में शामिल किया जा रहा है। कृषि इंजीनियरिंग की पढ़ाई में अब अनिवार्य रूप से ड्रोन टेक्नोलॉजी और फार्म मशीनरी तकनीक जैसे कोर्स शामिल हो गए हैं। आने वाले छह महीनों में इसमें और बड़ा बदलाव होगा।
हर सेक्टर में नौकरी मिल सके इसलिए सिलेबस में 30% तक कर रहे बदलाव
मीडिया से खास बातचीत में कृषि विवि के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने बताया कि फूड प्रोसेसिंग, फूड टेक्नोलॉजी, वेल्यू एडिशन जैसे कोर्स भविष्य की उम्मीदें हैं। इसमें रोजगार की नई संभावनाएं हैं। अभी जो कोर्स चल रहे हैं, उसे चार-पांच साल पहले लागू किया गया था।
लेकिन अब इसमें नई शिक्षा नीति के अनुसार बदलाव किया जा रहा है। आईसीएआर की गाइडलाइन से कोर्स बनाते हैं। इस सिलेबस में 30 प्रतिशत तक राज्य अपनी जरूरत के अनुसार बदलाव कर सकते हैं। इसके अनुसार ही नए कोर्स को डेवलप किया जा रहा है।
फिलहाल पूरा फोकस रोजगार पर ही है। कृषि की पढ़ाई के बाद रोजगार के अवसर कितने बढ़ेंगे इस पर जोर दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ समेत देशभर में खाने-पीने की चीजें जैसे, अनाज, दाल की कमी नहीं हैं। इसलिए आने वाले समय में देश की कृषि नीति में बड़ा परिवर्तन होगा। बाजार आधारित एग्रीकल्चर पर ही काम किया जाएगा। फूड प्रोसेसिंग, फूड टेक्नोलॉजी वैल्यू एडिशन पर ज्यादा काम होंगे।
इस तरह से यह कहा जा सकता है कि आने वाला साल फूड प्रोसेसिंग का होगा। इसमें रोजगार की संभावनाएं कई गुना हैं। यही वजह है कि कृषि विश्वविद्यालय में भी फूड प्रोसेसिंग एंड टेक्नोलॉजी में बीटेक की पढ़ाई शुरू हो चुकी है।