
सूरजपुर. कोरोना के दूसरे लहर में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा सम्पूर्ण जिले में सख्त लॉक डाउन लगाया गया है. ज्ञात हो कि जिले के सभी बाजार बंद होने के कारण किसानों के समक्ष दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा है. उनके समक्ष खेतों में उत्पादित सब्जी को बेचना एक चुनौती बन गया है. वे खुद को जिला प्रशासन द्वारा उपेक्षित समझ रहे हैं. उनका कहना है कि जिला प्रशासन का उनकी ओर कोई ध्यान नहीं है. स्थिति यह हो गई है कि सब्जियां बाड़े में ही सड़, गल रही हैं. इधर किसानों का कहना है की कभी भी आपात स्थिति में उनको सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है हमेशा ही उनको दोहरी मार झेलनी पड़ती है. इस चिलचिलाती धूप में फसल की अच्छी पैदावार होने के बावजूद जिले में लॉक डाउन होने के कारण वे अपनी फसल नहीं बेच पा रहे हैं, जिससे उनको आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. किसानों का यह भी कहना है कि जिला प्रशासन द्वारा कम से कम सुबह 2 घंटे की छूट देनी चाहिए ताकि हम अपनी सब्जियों को बाजार में बेच सके. किसानों ने जिला प्रशासन से उचित कदम उठाए जाने की मांग की है.
* सबसे बड़ा सब्जी बाजार बंद.
जिले से महज 10 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत ऊँचडीह में संचालित सब्जी बाजार भी बंद है. किसानों का कहना है कि यहां लोधिमा, बसदेई, बंजा, खोंपा, पसला, डुमरिया, नमन्दगीरी, भरवा मुड़ा, झांसी, ऊँचडीह, पीढा आदि गांव के किसानों के साथ-साथ यहां भारी तादाद में व्यापारी भी खरीदारी करने आते हैं. लेकिन सबसे बड़े सब्जी बाजार के बंद हो जाने से किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों ने जिला प्रशासन से ऊँचडीह सब्जी बाजार को सुबह दो घंटा संचालित करने की मांग की है. ताकि वह सब्जियों को बेच सकें.
* पक चुकी सब्जियां सड़ने के कगार पर.
इस लॉकडाउन में किसानों के सब्जियों को बेचने की कोई व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा नहीं किया गया. जिससे खेतों में पक चुके टमाटर खेतों में सड़ रहे हैं. किसानों का कहना है कि इस साल पैदावार अच्छी हुई है, लेकिन फसल को बेचने की कोई व्यवस्था नहीं होने से खेतों में सड़ बदबू मार रहा है.
* अन्य सब्जियों का भी यही हाल.
किसानों से बात करने पर पता चला कि अभी खेतों में खीरा, करेला, लौकी, भिन्डी, लाल भाजी आदि सब्जियां खेतों में पड़े पड़े बूढ़े हो जा रहे हैं. खीरा का आकार कितना बड़ा हो जा रहा है, जिसे पता ही नहीं चल पा रहा की लौकी है या खीरा.
* मवेशियों को सब्जी खिलाने मजबूर.
किसानों का कहना है कि बाजार बंद होने से उनके समक्ष सब्जी बिक्री का बहुत बड़ा संकट पैदा हो गया है. उनको समझ नहीं आ रहा है की आखिर इतनी तादाद में उत्पादित सब्जी को कहां बेचे. उनका कहना है कि अब उनके पास एक ही उपाय है कि इस उत्पादित सब्जी को सड़ने से अच्छा है मवेशियों को खिला दिया जााए।