हिंदू नववर्ष के प्रारंभ से ही होगी शक्ति की भक्ति: नवरात्रि में 4 सर्वार्थ सिद्धि योग…10 अप्रैल को रवि पुष्य संयोग…इस महीने 30 त्यौहार के भी बने योग
रायपुर। 2 अप्रैल से हिंदू नववर्ष शुरू हो रहा है। पहला महीना होगा चैत्र… यह महीना पूरे साल का सिरमौर है। इस महीने में करीब 16 तीज-त्योहार आएंगे, जो इसे और भी खास बनाएंगे। उत्सुकता यह है कि यह माह सिरमौर क्यों है? इसकी सबसे बड़ी वजह- शक्ति की आराधना से इस माह की शुरुआत होती है। इस दौरान की गई साधना से ऊर्जा व सकारात्मकता भी मिलती है।
पंडितों का मत है कि चैत्र मास की पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में होती है, इसलिए भी इस महीने को शुभ माना जाता है। और इसीलिए इस माह का नाम भी चैत्र है। इस माह शक्ति की भक्ति पूरे मन से करने से आत्मिक शांति प्राप्त होती है। इसके साथ ही मानसिक दृढ़ता प्राप्त होती है। ज्योतिषियों ने बताया कि रामनवमीं पर रवि पुष्य का भी योग बन रहा है। वहीं इस महीने अम़त सिद्धि और पुष्य नक्षत्र के शुभ संयोग भी बन रहे हैं।
रामलला और उनके सेवक हनुमान जी का भी प्रकटोत्सव…इसलिए भी खास
- भगवान ब्रह्मा ने चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि का शुभारंभ किया था।
- रामलला और उनके सेवक हनुमान जी का भी प्रकटोत्सव इसी महीने मनाया जाता है।
- शक्ति की आराधना की शुरुआत हो रही। साधना के लिए इस नवरात्रि का महत्व है।
- इस महीने में स्नान-दान और व्रत रखने वाली कई शुभ तिथियां भी हैं।
सूर्य पूजा का भी विशेष महत्व है..
ज्योतिषी श्रीकांत तिवारी के अनुसार सालभर में चार नवरात्र होते है, उनमें चैत्र नवरात्र को साधना के लिए अधिक प्रभावी माना गया है। नवसंवत्सर के शुभारंभ में सूर्यदेव की पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार इसी माह में भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लिया था।
रामनवमी पर रवि पुष्य योग भी…
सर्वार्थ सिद्धि… 3 अप्रैल को सूर्योदय से रात 12.32 तक, 5 अप्रैल को सूर्योदय से शाम 4.11 तक, 6 अप्रैल को सूर्योदय से रात 12.15 तक, 10 अप्रैल को सूर्योदय से शाम 4.24 तक और 29 अप्रैल को शाम 6.21 से तड़के 4.21 तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा।
अमृत सिद्धि… 29 को सूर्योदय से शाम 6.52 तक।
पुष्य नक्षत्र… 10 अप्रैल को शाम 4.24 तक पुष्य नक्षत्र रहेगा।
किस तारीख को कौन सा तीज-त्योहार
2 गुड़ी पड़वा, चैत्र नवरात्र, चैतीचांद
3 सिंधारा दोज, मत्स्य जयंती
4 गणगौर तीज, सौभाग्य सुंदरी व्रत
5 विनायकी चतुर्दशी
8 निशा पूजन, काली उपासना
9 दुर्गा अष्टमी
10 दुर्गा नवमीं, राम नवमीं
12 कामदा एकादशी
14 प्रदोष व्रत
15 रेणुका चतुर्दशी
16 हनुमान प्रकटोत्सव
19 गणेश चतुर्थी
26 वरूथिनी एकादशी
28 प्रदोष व्रत
29 शिव चतुर्दशी
30 सतुवाई स्नान-दान अमावस्या