छत्तीसगढ़

गूगल कर्मचारी का दावा: इंसान की तरह सोच सकता है गूगल का AI चैटबॉट…खतरे में पड़ी इंजीनियर की नौकरी

नई दिल्ली। गूगल एक आर्टिफिशियल चैटबॉट (AI बॉट) टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है। इस पर काम करने के लिए कंपनी ने डीप माइंड प्रोजेक्ट लाई थी, जिसके हेड ब्लेक लेमोइन हैं। ब्लेक लेमोइन इस समय चर्चा में हैं। दरअसल उन्होंने दावा किया है कि यह AI बॉट इंसानी दिमाग की तरह काम करता है और कहा इसे डेवलप करने का काम पूरा हो चुका है।

हालांकि इस दावे को जब उसने पब्लिक किया तो उसे जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया। हालांकि यह पेड लीव थी। ब्लेक ने मीडियम पोस्ट में कहा कि उन्हें एआई एथिक्स पर काम करने के लिए जल्द नौकरी से निकाला जा सकता है।

AI चैटबॉट एक इंसान की तरह सोच रहा

ब्लेक पर आरोप है कि उन्होंने ने थर्ड पार्टी के साथ कंपनी के प्रोजेक्ट के बारे में कॉन्फिडेंशियल इन्फॉर्मेशन को शेयर की है। ब्लेक ने सस्पेंशन के बाद गूगल के सर्वर के बारे में अजीब और चौंकाने वाला दावा किया है। ब्लेक ने सार्वजनिक तौर पर यह दावा किया है कि गूगल के सर्वर पर उनका सामना एक ‘sentient’ AI यानी संवेदनशील AI के साथ हुआ है। ब्लेक ने यह भी दावा किया कि यह AI चैटबॉट एक इंसान की तरह सोच भी सकता है।

मशीनी दिमाग हूबहू इंसानी फीडबैक दिखा रहा

जिस AI को लेकर इतना बवाल मचा है उसका नाम LaMDA है। ब्लेक लेमोइन ने द वाशिंगटन पोस्ट को बताया कि उन्होंने इंटरफेस LaMDA (लैंग्वेज मॉडल फॉर डायलाग एप्लिकेशन्स) के साथ चैट करना शुरू किया तो पाया कि जैसे वे किसी इंसान के साथ बातें कर रहे हैं। गूगल ने पिछले साल लामडा (LaMDA) को बातचीत टेक्नोलॉजी में अपनी एक खास सफलता बताई थी।

बातचीत करने वाले वाला यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल इंसानी आवाज में लगातार बात कर रहा था। यानी आप इससे लगातार टॉपिक बदलते हुए बात कर सकते हैं जैसे किसी इंसान से कर रहे हों। गूगल ने कहा है कि इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सर्च और गूगल असिस्टेंट जैसे टूल में किया जा सकता है। कंपनी ने कहा था कि इस पर रिसर्च और टेस्टिंग जारी है।

पेड लीव पर गूगल की सफाई

गूगल के स्पोकपर्सन ब्रियान गैब्रियाल के मुताबिक जब कंपनी ने लेमोइन के इस दावे का रिव्यू किया। कंपनी का कहना है कि उन्होंने जो सबूत दिए हैं काफी नहीं है। गैब्रियाल से जब लेमोइन की छुट्टी के बारे में पूंछा तो उन्होंने इस बात को माना हां उन्हें एडमिनिस्ट्रेटिव लीव दी गई है।

गेब्रियल ने आगे कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्पेस में कंपनियां सेंटीमेंट AI की लंबी अवधि की एक्सपेक्टेशन पर विचार कर रही हैं, लेकिन ऐसा करने का कोई मतलब नहीं है कि एंथ्रोपोमोर्फिंग कंवर्शेसनल डिवाइस संवेदनशील नहीं हैं। उन्होंने समझाया कि “LaMDA जैसी सिस्टम हुमन कन्वर्शेसन के लाखों सेंटेंस में पाए जाने वाले एक्सचेंज के टाइप्स की नकल करके काम करती हैं, जिससे उन्हें काल्पनिक विषयों पर भी बात करने की अनुमति मिलती है।

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Pradeep Sharma

SNN24 NEWS EDITOR

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