कवर्धा

राज्यपाल अनुसूईया उइके की पीड़ा: बोली- आदिवासियों के लिए योजनाएं तो बनती हैं…लेकिन उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पाता

कवर्धा। बैगा-आदिवासी समाज के विकास पर बात करते-करते इस विषय पर राज्यपाल अनुसूईया उइके की पीड़ा भी उभर आई। अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा मैं जानती हूं, कि आदिवासियों के लिए योजनाओं तो बनती हैं, लेकिन इसका लाभ उन्हें नहीं मिल पाता।

बैगा-आदिवासी महासम्मेलन में शामिल होने पहली बार कबीरधाम पहुंची राज्यपाल ने यहां तक कह दिया कि उन्हें कहना तो नहीं चाहिए, लेकिन राज्यपाल को 5वीं अनुसूची के अंतर्गत बहुत से अधिकार हैं। वे इन अधिकारों के जरिए आदिवासी व विशेष पिछड़ी जनजाति को लेकर काम कर सकते हैं। यदि पूर्व के लोगों ने इसका उपयोग किया होता, तो आदिवासी समाज की अलग ही स्थिति होती।

बैगा आदिवासी महासम्मेलन में शामिल होने रविवार की दोपहर में राज्यपाल अनुसूईया उइके कवर्धा पहुंची। उन्हें पहले इस कार्यक्रम में शामिल होने भोरमदेव जाना था, लेकिन मौसम में आई तब्दीली के कारण आनन-फानन में शनिवार देर रात कार्यक्रम स्थल में बदलाव करते हुए इसे कवर्धा के कॉलेज मैदान स्थित ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया।

इस कार्यक्रम में शामिल होने से पहले वे भोरमदेव मंदिर भी गईं और पूजा-अर्चना की। कार्यक्रम में उनके साथ बैगा समाज के प्रदेश अध्यक्ष इतवारी बैगा, सर्व आदिवासी समाज के युवा प्रभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष परते, बैगा विकास अभिकरण के अध्यक्ष पुसुराम बैगा, नेहरू युवा केन्द्र के श्रीकांत पांडेय, बैगा समाज के जिलाध्यक्ष कामू बैगा व बड़ी संख्या में समाज के लोग उपस्थित रहे।

जानकारी के अभाव में आदिवासियों पर होते रहे अन्याय: इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि बैगा समाज सबसे पिछड़ी जनजाति है। उन्होंने कहा कि सरकारों ने आदिवासी विकास की दिशा में काम किया, लेकिन उतना विकास नहीं हो सका, जितना होना चाहिए।

जानकारी के अभाव में आदिवासियों पर अन्याय होते रहे। जब मैं जनजाति आयोग की अध्यक्ष थी, तो देखा कि देश में 600 अलग-अलग तरह की 12 करोड़ जनजाति निवास करती है। इनमें से 75 अति पिछड़ी जनजाति है और इनमें से 5 अति पिछड़ी जनजाति छत्तीसगढ़ में रहती है। आदिवासियों को आर्थिक, सामाजिक व शैक्षणिक रूप से कैसे आगे बढ़ाया जाए, इसे लेकर ही जनजाति आयोग का गठन किया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में समाज के लोग मौजूद रहे।

सीएम ने किया है वादा पेसा कानून लागू कर देंगे

राज्यपाल ने कहा कि पेसा कानून का मकसद ही यही है कि अनुसूची क्षेत्र में विकास को लेकर ग्राम सभा को निर्णय का अधिकार दिया जाए। कानून तो बना, लेकिन कानून का पालन नहीं हो रहा। उन्होंने कहा कि पेसा को लागू करने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। इस मामले में प्रधानमंत्री से भी मिल चुकी हूं।

यदि नियम है तो इसका पालन होना चाहिए। राज्यपाल को अधिकार है कि 5वीं अनुसूची में नीति नियम के लिए संज्ञान ले, इसलिए लेती भी हूं। इस कानून का अनुमोदन मुझे ही करना है। मुख्यमंत्री ने वायदा किया है कि आने वाले सत्र में पेसा कानून लागू कर देंगे।

पखवाड़े भर में एक दिन सुनवाई करें कलेक्टर

राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने कबीरधाम कलेक्टर से बात की है कि प्रत्येक 15 दिन में कम से कम एक बार विशेष पिछड़ी जनजाति व आदिवासियों के लिए सुनवाई रखें। चूंकि इन्हें इतनी दूर आने-जाने में दिक्कत होती है, ये बार-बार इतनी दूर नहीं आ सकते।

इसलिए इनकी समस्या का समाधान तय दिवस पर किए जाएं। मैंने राज्य के मुख्य सचिव को भी पत्र लिखा है कि केन्द्रीय व राज्य की योजनाओं की जो भी राशि विशेष पिछड़ी जनजातियों से जुड़ी योजनाओं व अन्य योजनाओं के लिए आ रही हैं, वे वापस न जाएं। कलेक्टोरेट में बैगा विकास अभिकरण के ऑफिस के लिए जल्द ही पत्र लिखूंगी।

समझाइश भी दी: सभी धर्मों का सम्मान करें

उन्होंने कहा कि आदिवासी अपनों के बीच लड़ रहे हैं कि इस भगवान को मत मानो, उस भगवान को मत मानो। वे किसी के बहकावे में मत आएं। सभी धर्मों का सम्मान करें। आपस में मिलकर रहें। कुछ लोग भोले लोगों को बरगलाकर उलझाना चाहते हैं। इसमें मत पड़िए। हमारा विकास रुक जाएगा। मौके पर बैगा समाज ने राज्यपाल के सामने 14 विभिन्न मांग भी रखी, इस पर उन्होंने इस पर सरकार को पत्र लिखने की बात कही।

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