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High Court News: शासकीय भूमि के आवंटन को चुनौती…हाई कोर्ट ने मांगा दस्तावेज

बिलासपुर। सरकारी भूमि के आवंटन का अधिकार कलेक्टर को दिए जाने के खिलाफ हाई कोर्ट में अलग-अलग तीन जनहित याचिका दायर की गई है। इन सभी मामलों की एक साथ सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को प्रकरण से संबंधित सभी दस्तावेज व पेपर बुक प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।

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भाजपा नेता सुशांत शुक्ला ने अधिवक्ता रोहित शर्मा के माध्यम से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा अखिल भारतीय उपभोक्ता कांग्रेस विरुद्ध मध्यप्रदेश शासन द्वारा 2011 में पारित आदेश का हवाला देते हुए राज्य शासन के आदेश को चुनौती दी गई है।

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इसमें बताया है कि राज्य सरकार 7500 वर्ग फीट तक भूमि आवंटन का अधिकार कलेक्टर को दिए गए हैं जो अवैधानिक है। याचिका में 11 सितंबर 2019 को जारी आदेश को विधि विरुद्ध बताते हुए निरस्त करने की मांग की गई है। इसी प्रकार आरंग के पूर्व विधायक नवीन मार्कंडेय वकील हिमांशु पांडेय के माध्यम से जनहित याचिका प्रस्तुत कर कहा है कि शासन के इस आदेश का लाभ सिर्फ कुछ बड़े और व्यावसायिक लोगों को मिलेगा।

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इसमें 15 से 20 हजार वर्गफीट की जमीन की स्वीकृति शासन स्वयं अपने खास लोगों को दे रहा है। राजस्व पुस्तक परिपत्र में संशोधन कर सरकारी विभागों से पूछा जा रहा है कि रिक्त शासकीय भूमि की उन्हें भविष्य में भी जरूरत नहीं हो तो बताएं। विभागों के मना करने के साथ ही निजी लोग भी आवेदन कर सकते हैं।

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याचिका में बिना बोली लगाए सिर्फ आवेदन जमा करने के आधार पर भूमि आवंटन को निरस्त करने की मांग की गई है। मधुकर द्विवेदी ने भी वकील योगेश्वर शर्मा के जरिए जनहित याचिका दाखिल कर कहा कि यह आदेश छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता और छत्तीसगढ़ नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम में उपबंधित प्रविधानों को भी ताक पर रखकर विधि विपरीत आदेश सिर्फ समाज और एक वर्ग को फायदा पहुंचाने के लिए जारी हुआ है।

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इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 व 21 और समाजवाद व समता के अधिकार का उल्लंघन भी बताया है। इन सभी मामलों की गुरुवार को चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू की युगलपीठ में एक साथ सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने सभी याचिकाकर्ताओं को प्रकरण से संबंधित समस्त दस्तावेज के साथ ही पेपर बुक फाइल करने का आदेश दिया है।

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