SUPREME COURT का अहम फैसला: दो महीने में महिला अधिकारियों को मिले स्थायी कमीशन

सेना में महिला अधिकारियों के स्थाई कमीशन से जुड़ी एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने सेना निर्देश किया कि वो दो महीने के भीतर महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दे। कोर्ट ने परमानेंट कमीशन के लिए महिला अफसरों के लिए बनाए गए मेडिकल फिटनेस मापदंड को भी मनमाना और तर्कहीन बताया।

क्या था मामला?

भारतीय सेना की 17 महिला अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद सेना ने महिला अधिकारियों को 50% तक स्थायी कमीशन (पीसी) प्रदान नहीं किया है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल ही सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगा दी थी। आदेश के मुताबिक सेना में कंबैट इलाकों को छोड़कर सभी इलाकों में महिलाओं को स्थाई कमीशन दिया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जिन आंकड़ों को रिकॉर्ड पर रखा गया है, वो केस के बेंचमार्किंग को पूरी तरह से ध्वस्त करते हैं। वैसे कोर्ट ने माना कि सेना द्वारा अपनाए गए मानकों की कोई न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती है। लेकिन कोर्ट ने ये बात भी कही कि सेना द्वारा अपनाए गए इस तरह के मूल्यांकन मापदंडों की वजह से ही महिलाओं के साथ भेदभाव होता है।

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