छत्तीसगढ़ मे प्री-मानसून ने खत्म किया लू का प्रभाव: बस्तर, गरियाबंद सहित कई जिलों में बरसे बादल…पारा लुढ़का…पर बिलासपुर 43.4 डिग्री के साथ सबसे गर्म
रायपुर। छत्तीसगढ़ में मानसून पूर्व की बरसात ने लू का प्रभाव लगभग खत्म कर दिया है। रायपुर सहित अधिकतर जिलों में दिन का तापमान सामान्य हो गया है। सोमवार को केवल तीन शहरों का तापमान ही 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक पहुंचा है। सोमवार को गरियाबंद, बस्तर सहित क्षेत्रों में बरसात हुई है।
मौसम विभाग के मुताबिक सोमवार को देवभोग में तीन मिलीमीटर और बकावंड में एक मिलीमीटर पानी बरसा है। प्रदेश के कुछ अन्य जिलों में भी हल्की बरसात हुई है। इस बीच रायपुर का अधिकतम तापमान केवल 39.2 डिग्री सेल्सियस मापा गया है। यह सामान्य है। दुर्ग का तापमान 39.6 और राजनांदगांव का 39.5 डिग्री सेल्सियस रहा। वहीं जगदलपुर का अधिकतम तापमान 38 डिग्री, पेण्ड्रा रोड का 38.3 डिग्री और अंबिकापुर का 38.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ है।
43.4 डिग्री सेल्सियस के साथ बिलासपुर प्रदेश का सबसे गर्म स्थान रहा है। वहीं बलौदा बाजार में 41.9 और कोरबा में 41.1 डिग्री सेल्सियस का तापमान दर्ज हुआ। प्रदेश में सबसे गर्म केंद्र मुंगेली में सोमवार का अधिकतम तापमान केवल 39.3 डिग्री सेल्सियस ही दर्ज हुआ है। तापमान में इस गिरावट से आम जनजीवन को बड़ी राहत मिली है।
तीन सिस्टम सक्रिय, कल भी बरसात संभव
मौसम विभाग के मुताबिक एक द्रोणिका पूर्व-मध्य अरब सागर से उत्तर-पूर्व मध्य प्रदेश तक विस्तारित है। एक ऊपरी हवा का चक्रीय चक्रवाती घेरा दक्षिण तटीय ओडिशा के ऊपर स्थित है। वहीं एक पूर्व-पश्चिम द्रोणिका उत्तर हरियाणा से पूर्व असम तक फैली हुई है। इनके प्रभाव से 14 जून को प्रदेश के कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने अथवा गरज-चमक के साथ छींटे पड़ने की संभावना है। प्रदेश में एक-दो स्थानों पर गरज-चमक के साथ आकाशीय बिजली गिरने अथवा अंधड़ चलने की संभावना भी बन रही है।
आंध्र-तेलंगाना तक पहुंचा मानसून
इस बीच बताया गया है कि दक्षिण में कर्नाटक के ऊपर ठहरा मानसून आगे बढ़कर आंध्र प्रदेश-तेलंगाना के कुछ क्षेत्रों तक पहुंच चुका है। मौसम विभाग के मुताबिक दक्षिण-पश्चिम मानसून अरब सागर के कुछ और हिस्सों, गुजरात राज्य के कुछ हिस्सों में आगे बढ़ गया है। कोंकण, मध्य महाराष्ट्र के अधिकांश भाग, मराठवाड़ा और कर्नाटक के अधिकांश भाग, तेलंगाना के कुछ भाग और रायल सीमा, तमिलनाडु के कुछ और हिस्से, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल के अधिकांश हिस्सों और बिहार में इसका प्रभाव हो चुका है।