छत्तीसगढ़ में कभी-कभी बिना स्कूल बैग का स्कूल: पढ़ाई को रोचक बनाने के लिए शिक्षा विभाग का नया प्रयोग…छात्रों को आसपास घुमाने भी ले जाएंगे
रायपुर। छत्तीसगढ़ में नए शिक्षा सत्र से बस्ता विहीन स्कूल का प्रयोग शुरू हो सकता है। शिक्षा विभाग ने स्कूलों में किसी-किसी दिन छात्रों के लिए बस्ता नहीं लाने वाला दिन घोषित करते रहने का निर्देश जारी किया है। इस दिन बिना स्कूल बैग के स्कूल पहुंचे बच्चों को स्थानीय कारीगरों, मजदूरों, व्यवसायियों का काम दिखाने की व्यवस्था की जाएगी ताकि वे इन व्यवसायों से परिचित हो सकें।
स्कूल शिक्षा विभाग ने नए शिक्षा सत्र में बच्चों की उपस्थिति पर विशेष जोर दिया है। सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को जारी निर्देश में कहा गया है, कोरोना लॉकडाउन की वजह से बच्चों की शाला में नियमित उपस्थिति की आदत में बदलाव हुआ है। ऐसी स्थिति में आगामी शिक्षा सत्र में बच्चों की नियमित उपस्थिति के लिए विशेष प्रयास किए जाएं। सभी स्कूलों में कुछ दिनों विशेषकर अवकाश के दौरान उनके आसपास के विभिन्न व्यवसायों से परिचित करवाने कहा गया है।
इसके लिए ऐसे आवश्यक एवं उपयोगी कौशलों के विकास के लिए स्थानीय कुशल कामगारों के साथ बच्चों को मिलवाया जाएगा। बस्ताविहीन दिनों का आयोजन कर बच्चों को विभिन्न उपयोगी कौशल सीखने के समुचित अवसर दिए जाएंगे। स्कूल शिक्षा विभाग ने शाला प्रबंधन समिति के माध्यम से समुदाय की बैठक लेकर उन्हें अपने बच्चों को नियमित शाला में भेजे जाने के लिए प्रेरित करने को भी कहा है।
कई दिन नहीं आए तो घर पहुंचेंगे साथी
जिला शिक्षा अधिकारियों को कहा गया है, नियमित शत-प्रतिशत उपस्थिति वाले बच्चों की पहचान कर प्रतिमाह ऐसे बच्चों को पुरस्कृत करने की दिशा में कार्य किया जाए। अनियमित उपस्थिति वाले विद्यार्थियों के घरों में दूसरे विद्यार्थियों को भेजकर कारणों का पता लगाने की कोशिश करना है। उनके पालकों को सूचित कर बच्चों को नियमित स्कूल भेजे जाने की आवश्यक व्यवस्थाएं की जाए।
प्रधानाध्यापक को सुनिश्चित करना है – कोई कक्षा खाली न रहे
प्रधानाध्यापक इस बात पर विशेष ध्यान दें कि कोई भी कक्षा खाली न जाए। लगातार कक्षाएं नहीं होने की वजह से बच्चे धीरे-धीरे स्कूल आना छोड़ देते हैं। शिक्षक भी कक्षा में नियमित रूप से उपस्थित रहें और अपनी कक्षाओं को रोचक एवं व्यावहारिक तरीके से संचालित करने का प्रयास करें।
अभिभावकों को भी जिम्मेदारी देने की बात
निर्देशों में कहा गया है, पालकों को इस बात के लिए सहमत करवाया जाए कि वे प्रतिदिन अपने बच्चों से उस दिन स्कूल में क्या सीखा आदि के बारे में चर्चा करें। प्रति सप्ताह सीखे गये पाठों के आधार पर नियमित टेस्ट लेना सुनिश्चित करते हुए टेस्ट में सभी विद्यार्थियों की उपस्थिति को अनिवार्य करें।