भारत की 80% आबादी पी रही जहरीला पानी: राज्यसभा में केंद्र सरकार ने कहा- ज्यादातर राज्यों में भूजल जहरीला…पीने का साफ पानी राज्यों की जिम्मेदारी
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि देश में पानी की गुणवत्ता बिगड़ रही है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक हम जो पानी पीते आ रहे हैं वह ‘जहरीला’ है। देश के लगभग सभी राज्यों के अधिकांश जिलों में ग्राउंडवॉर्टर में ज्यादा मात्रा में जहरीले एलिमेंट पाए गए हैं।
जल शक्ति मंत्रालय के एक दस्तावेज के मुताबिक, देश की 80% से ज्यादा आबादी को जमीन से पानी मिलता है। अगर भूजल में ज्यादा मात्रा में खतरनाक एलिमेंट्स मिलते हैं तो इसका मतलब है कि पानी ‘जहर’ बन रहा है।
राज्यसभा में सरकार ने रिहायशी इलाकों की संख्या भी बताई है, जहां पीने के पानी के सोर्स प्रदूषित हो गए हैं। इसके अनुसार, 671 क्षेत्र फ्लोराइड से, 814 क्षेत्र आर्सेनिक से, 14,079 क्षेत्र आयरन से, 9,930 क्षेत्र सलीनिटी से, 517 क्षेत्र नाइट्रेट से और 111 क्षेत्र हैवी मेटल्स (भारी धातुओं) से प्रभावित हैं।
संसद में भूजल पर दिए गए सरकार के आंकड़े
- 25 राज्यों के 209 जिलों में भूजल में आर्सेनिक की मात्रा 0.01 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक है।
- 29 राज्यों के 491 जिलों में भूजल में आयरन की मात्रा 1 मिलीग्राम प्रति लीटर से भी ज्यादा है।
- 11 राज्यों के 29 जिलों में भूजल में कैडमियम की मात्रा 0.003 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक पाई गई है।
- 16 राज्यों के 62 जिलों में भूजल में क्रोमियम की मात्रा 0.05 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक है।
- 18 राज्यों में 152 जिलों में भूजल में यूरेनियम की मात्रा 0.03 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक है।
कितना खतरनाक है यह पानी?
आमतौर पर यह माना जाता है कि एक व्यक्ति प्रतिदिन औसतन 3 लीटर पानी पीता है। हालांकि, सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक, स्वस्थ रहने के लिए रोजाना कम से कम 2 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए। अगर आप रोजाना 2 लीटर पानी भी पी रहे हैं तो आपके शरीर में भी कुछ मात्रा में जहर जा रहा है।
शहरों के मुकाबले गांव वालों के सामने मुश्किल ज्यादा
सरकार ने कहा कि शहरों की तुलना में गांवों में यह समस्या ज्यादा गंभीर है, क्योंकि भारत की आधी से ज्यादा आबादी गांवों में रहती है। यहां पीने के पानी का अहम जरिया हैंडपंप, कुएं, नदियां या तालाब हैं। यहां पानी सीधे जमीन से आता है। इसके अलावा गांवों में आमतौर पर इस पानी को साफ करने का कोई तरीका नहीं है। इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं।
सरकार ने बताया क्या-क्या कदम उठाए
- केंद्र सरकार ने संसद को बताया कि पानी राज्य का विषय है, इसलिए लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराना राज्यों की जिम्मेदारी है। हालांकि, स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार कई योजनाएं भी चला रही है।
- 21 जुलाई को सरकार ने लोकसभा को बताया कि अगस्त 2019 में जल जीवन मिशन की शुरुआत की गई थी। इसके तहत 2024 तक हर ग्रामीण घर में नल के जरिए पेयजल की आपूर्ति की जाएगी। सरकार के जवाब के मुताबिक, देश में 19.15 करोड़ ग्रामीण घरों में से अब तक 9.81 करोड़ घरों में नल के पानी की आपूर्ति की जा रही है।
- इसके अलावा केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2021 में अमृत 2.0 योजना की शुरुआत की है। इसके तहत अगले 5 साल यानी 2026 तक सभी शहरों में नल के पानी की आपूर्ति करने का लक्ष्य रखा गया है।