एक्सप्लेनर

जानिए कौन हैं सेंट्रल विस्टा के डिजाइनर बिमल पटेल: बचपन में साइंटिस्ट बनना चाहते थे…आज पश्चिम से पूरब तक रीडेवलपमेंट के मास्टर आर्किटेक्ट

दिल्ली में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट, वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर, अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट और पुरी में जगन्नाथ मंदिर की मास्टर प्लानिंग- भारत के कल्चरल और अरबन लैंडस्केप के ये सभी सिंबल्स भले ही देश के अलग-अलग कोनों में स्थित हैं, लेकिन इनका मास्टर आर्किटेक्ट एक ही हैं- बिमल पटेल।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन की डिजाइन का जिम्मा भी पटेल की कंपनी HCP डिजाइन को सौंपा है।

आज हम एक्स्प्लेनर में जानेंगे कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के मास्टर आर्किटेक्ट बिमल पटेल हैं कौन, वे और कौन से बड़े प्रोजेक्ट से जुड़े रहे हैं….

सबसे पहले उनसे जुड़े प्रोजेक्ट्स की बात…

  1. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट

अगस्त 2021, दोपहर का वक्त था। बिमल पटेल कुछ पत्रकारों और बुद्धजीवियों को सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के बारे में बता रहे थे। इस दौरान उन्होंने फुटपाथ की ओर इशारा करते हुए दिखाया, जहां कर्मचारी रैक्टेंगुलर शेप में गुलाबी टाइल्स लगा रहे थे।

इनमें से सभी टाइल्स को ठीक से फिक्स किया जाना है, ताकि वे यहां से इंडिया गेट तक स्ट्रेट लाइन में दिखें। टाइल्स के जरिए इतनी दूर तक स्ट्रेट लाइन बनाना काफी कठिन काम है, लेकिन पटेल कहते हैं कि इस तरह की कारीगरी ही उनका काम है।

एक साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 सितंबर को इसी सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का उद्घाटन किया है। ये अब आम लोगों के लिए भी खुल गया है। बिमल पटेल न सिर्फ कर्तव्यपथ की स्ट्रेट लाइन से खुश से हैं, बल्कि उनके विरोधी भी उनके इस काम काे सराह रहे हैं।

संसद की नई इमारत बनाने का कॉन्ट्रैक्ट टाटा को मिला है। वहीं इसकी डिजाइन की जिम्मेदारी बिमल पटेल की कंपनी HCP डिजाइन को मिली है। इस प्रोजेक्ट पर 865 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
  1. अहमदाबाद का साबरमती रिवर फ्रंट

अहमदाबाद का साबरमती रिवर फ्रंट का डिजाइन भी आर्किटेक्ट बिमल पटेल ने ही तैयार किया है। 2011 में प्रधानमंत्री मोदी ने इसका उद्घाटन किया था। इस प्रोजेक्ट को देश-विदेश से तकरीबन 24 अवॉर्ड मिल चुके हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत करीब एक करोड़ की लागत से नदी के किनारे पर 10.4 किमी के स्ट्रेच को विकसित किया गया है।

साबरमती रिवरफ्रंट को गुजरात के अहमदाबाद शहर की साबरमती नदी के किनारे विकसित किया गया है। इसे विकसित करने का प्रस्ताव 1960 में रखा गया था, लेकिन इसका काम 2005 में शुरू हुआ।
  1. काशी विश्‍वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट

काशी विश्‍वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट का डिजाइन भी बिमल पटेल ने ही किया है। इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च 2019 को किया था। जो करीब 5 लाख स्‍कवॉयर फीट में बना हुआ है। अब काशी विश्वनाथ मंदिर आने-वाले श्रद्धालुओं को तंग और संकरी गलियों से नहीं गुजरना पड़ेगा। कॉरिडोर बनने के बाद गंगा घाट से सीधे कॉ‍रिडोर के रास्‍ते बाबा विश्‍वनाथ के दर्शन किए जा सकते हैं। इसकी कुल लागत 900 करोड़ रुपए है।

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को 3 भागों में बांटा गया है। पहला, मंदिर का मुख्य भाग है जो लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है। इसमें 4 बड़े-बड़े गेट लगाए गए हैं। इसके चारों तरफ एक प्रदक्षिणा पथ बनाया गया है।

इसके अलावा बिमल पटेल गांधीनगर के सेंट्रल विस्टा, गुजरात हाईकोर्ट, हैदराबाद की अगा खान एकेडमी, मुंबई की अमूल डेयरी, IIM अहमदाबाद, IIT जोधपुर जैसी बिल्डिंग्स का डिजाइन भी तैयार कर चुके हैं।

उनकी कंपनी HCP ही अहमदाबाद में गांधी आश्रम के रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट पर भी काम कर रही है। इसकी निगरानी सीधे PMO से हो रही है। इसके अलावा भी बिमल पटेल की कंपनी मोदी सरकार के कई ग्रैंड प्रोजेक्ट से जुड़ी हुई है।

अब बिमल पटेल के बारे में जान लीजिए…

बचपन में वैज्ञानिक बनना चाहते थे बिमल पटेल

बिमल हसमुख पटेल का जन्म 31 अगस्त 1961 को गुजरात में हुआ था। उन्होंने सेंट जेवियर्स स्कूल से पढ़ाई की। बचपन में वह साइंटिस्ट बनना चाहता थे, लेकिन स्कूल में एक टीचर ने उन्हें सोशल और नेशनल डेवलपमेंट के बारे में सोचने के लिए प्रेरित किया।

उनके पिता हसमुख पटेल भी आर्किटेक्ट थे। इसी के चलते 12वीं के बाद उन्होंने आर्किटेक्चर को चुना और CEPT यूनिवर्सिटी की प्रवेश परीक्षा में टॉप किया। आर्किटेक्चर में डिप्लोमा हासिल करने के बाद उन्होंने आर्किटेक्चर में मास्टर्स, सिटी प्लानिंग में मास्टर्स और बर्कले यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया से सिटी एंड रीजनल प्लानिंग में PhD की।

40 लोगों से शुरू हुई HCP डिजाइन कंपनी, आज 300 से ज्यादा लोग काम करते हैं

1960 में डिजाइन फर्म HCP डिजाइन लिमिटेड की शुरुआत बिमल पटेल के पिता हसमुख पटेल ने अहमदाबाद में एक छोटे से कमरे में की थी। शुरुआत में HCP डिजाइन कंपनी में सिर्फ 40 लोग थे। आज कंपनी अहमदाबाद, दिल्ली और पुणे के ऑफिस में 300 से ज्यादा लोग काम करते हैं।

फिलहाल आर्किटेक्ट बिमल पटेल CEPT यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट हैं। साथ ही डिजाइन फर्म HCP डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक यानी MD भी हैं।

1990 में पटेल ने अहमदाबाद में अपने पिता के साथ काम करना शुरू किया। उनका पहला प्रोजेक्ट अहमदाबाद में द एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट के लिए डिजाइन तैयार करना था।

बिमल के पास आर्किटेक्ट के क्षेत्र में 35 साल से ज्यादा का अनुभव है। बिमल पटेल को आर्किटेक्ट के क्षेत्र में अहम योगदान देने के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका हैं। इनमें 2019 में पद्म श्री, 2001 में वर्ल्ड आर्किटेक्चर अवार्ड, 2002 में प्रायमिनिस्टर नेशनल अवार्ड फॉर एक्सीलेंस इन अरबन प्लानिंग एंड डिजाइन, 1998 में यूएन सेंटर फॉर ह्यूमन सेटलमेंट्स अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस जैसे पुरस्कार शामिल हैं।

2019 में बिमल पटेल को पद्मश्री देते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद।

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से जुड़ने के बाद आलोचना भी झेलनी पड़ी

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की डिजाइन के लिए बिमल पटेल को चुने जाने के बाद उन्हें विपक्ष की आलोचना का सामना भी करना पड़ा। विपक्ष और कुछ संगठन उन्हें मोदी का आर्किटेक्ट कहते हैं।

हालांकि, देखा जाए तो 1995 में मोदी से पहले सीजी रोड प्रोजेक्ट बिमल पटेल को मिला था। इस प्रोजेक्ट को बीजेपी के सीनियर लीडर और अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकरण के तत्कालीन अध्यक्ष सुरेंद्र पटेल ने मंजूरी दी थी।

इसके बाद साबरमती रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट के लिए बिमल पटेल को ही चुना। रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट पर उनके काम से प्रभावित होकर मोदी ने उनसे ही कांकरिया लेक फ्रंट का भी रीडेवलपमेंट कराया।

चलते-चलते नए संसद भवन की डिजाइन के बारे में भी जान लीजिए…

नाचते हुए मोर और कमल जैसा दिखेगा नया संसद भवन

करीब 100 साल बाद नया संसद भवन बनने जा रहा है। बिमल पटेल ने लोकसभा को नाचते हुए मोर का आकार दिया है। मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी भी है। वहीं राज्यसभा की थीम कमल है। कमल हमारा राष्ट्रीय फूल है और बीजेपी का चुनाव चिन्ह भी। उम्मीद है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद जीते हुए सांसद नए संसद भवन में बैठेंगे।

नई संसद बनाने की जरूरत क्यों पड़ी? इस सवाल पर पटेल कहते हैं कि संसद भवन अब पुराना हो चुका है, जिसमें कई जगह रिपेयरिंग की जरूरत है। एयर कंडीशनर, ऑडिओ-विजुअल सिस्टम, वेंटिलेशन और इलेक्ट्रिसिटी जैसी तमाम चीजों में बदलाव की जरूरत है।

नई संसद की बिल्डिंग मौजूदा संसद भवन के बगल में होगी और दोनों बिल्डिंग में एक साथ काम होगा। अभी लोकसभा में 590 लोगों की सिटिंग कैपेसिटी है। नई लोकसभा में 888 सीटें होंगी।

वहीं, राज्यसभा और लोकसभा में सिटिंग कैपेसिटी मैक्जिमम लेवल पर पहुंच चुकी है। इस वजह से नई बिल्डिंग जरूरी है। मंत्रालयों के ऑफिस भी दिल्ली में अलग-अलग जगहों पर हैं। नए कंस्ट्रक्शन में इसे भी तरजीह दी जा रही है कि सभी मंत्रालय एक ही जगह हों।

नई-पुरानी बिल्डिंग्स डायमंड लुक देगी

इस पूरे प्रोजेक्ट में पुरानी बिल्डिंग के दोनों तरफ ट्राएंगल शेप में दो बिल्डिंग बनेंगी। पुराने संसद भवन का आकार गोल है, जबकि नई संसद तिकोने आकार में होगी। इसके चलते नई और पुरानी बिल्डिंग्स को एक साथ देखने पर डायमंड लुक नजर आएगा।

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Pradeep Sharma

SNN24 NEWS EDITOR

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