रायपुर के अस्पताल में मौत का तांडव:FIR बेनामी क्योंकि पुलिस को प्रबंधकों का नाम नहीं पता; उधर 6वीं मौत, महिला की दम घुटने से जान गई, रिपोर्ट निगेटिव

रायपुर । दोपहर राजधानी अस्पताल में पांच नहीं, छह मौतें हुई हैं। छठवां नाम भाग्यश्री का आ रहा है। पुलिस ने लापरवाही मानकर कार्रवाई शुरू कर दी है। FIR भी दर्ज कर ली है, लेकिन किसी का भी नाम FIR में नहीं है। धाराएं ऐसी हैं, जिससे थाने से ही जमानत हो जाएगी।

मौतों की राजधानी अस्पताल ने जो सूची जारी की है, उसमें भाग्यश्री को भी मृत बताते हुए कहा गया है कि शव मेडिकल काॅलेज अस्पताल भेजा गया है। पुलिस रिकॉर्ड में ये नाम नहीं है। प्रशासनिक जानकारों के मुताबिक हादसे में मृत लोगों की लिस्ट में भाग्यश्री का नाम भी जोड़ा जाएगा। इसे मिलाकर यह छठवीं मौत होगी। उसे हादसे के बाद दूसरे अस्पताल भेजा गया था। हेल्थ अफसरों का कहना है कि जिन लोगों को अग्निकांड के बाद दूसरे अस्पतालों में गंभीर स्थिति में भेजा गया है, उनकी मौत होने पर उनका नाम अस्पताल हादसे में हुई मौतों की सूची में जोड़ा जाएगा।

मेरी 20 साल की बेटी डॉक्टर बनना चाहती थी
पापा अब एक चांस और इस बार डॉक्टर बन के ही दिखाऊंगी। राजधानी के भनपुरी में रहनेवाले पी महेश राव के कानों में उनकी 20 साल की बेटी भाग्यश्री के यह शब्द गूंज रहे हैं। पिछले NEET में उसने 500 से ज्यादा नंबर लाए थे, इसलिए मेडिकल कॉलेज नहीं मिला था।

इस बार उसने 700 के टारगेट से पढ़ाई शुरू की थी। तैयारी जोरों पर थी, लेकिन अचानक उसे सर्दी-खांसी शुरू हुई। सांस लेने में हल्की दिक्कत आई तो पिता अपनी बेटी को लेकर बेड के लिए भटकने लगे। तभी पता चला कि राजधानी अस्पताल में भी कोरोना मरीजों का दाखिला शुरू हो गया है। 15 अप्रैल को उसे एडमिट करवाया गया। दो दिन में ही उसकी तबीयत सुधर गई। शायद कोरोना नहीं थी। शनिवार को अस्पताल में लगी आग में भाग्यश्री की मौत हो गई। रविवार को उसकी जांच रिपोर्ट आ गई, जिसमें कोरोना निगेटिव था।

पिता महेश राव ने भास्कर से कहा कि हादसे ने मेरा सब कुछ छीन लिया। मेरी दो बच्चियां थीं सर, एक को खो दिया। भाग्यश्री कहती थी- पापा, मैं 100% डॉक्टर बनूंगी, आप चिंता मत करिए। रविवार को भाग्यश्री की कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव आई तो परिवार पर जैसे पहाड़ टूट पड़ा। उन्हें लगा कि वह ठीक थी, फिर यह सब क्यों? अस्पताल क्यों, वह तो ठीक थी, आ ही जाती।

दीदी को हादसे वाले दिन ही देखा
शनिवार को दीदी से आखिरी बार वीडियो कॉल पर दोपहर करीब 1.30 बजे बात हुई। दीदी को बस केवल सांस लेने में ही तकलीफ हो रही थी। वह कुछ बोल नहीं पा रही थी। हर बार की तरह मैं उनका हौसला बढ़ाती रही कि जल्दी ठीक हो जाओगी। घर आओगी तो मिलकर पहले जैसे रहेंगे, पढ़ाई करेंगे और एक साथ खूब तैयारी करेंगे। भाग्यश्री की छोटी बहन हरिणी ने बताया कि हमारे पिता जी वर्कशॉप चलाते हैं। हम सबकी जिंदगी हमारी दीदी में ही बसी थी। लगता है जैसे जिंदगी चली गई, हमसे हमारा सब कुछ जैसे छीन लिया।

धारा ऐसी कि थाने से जमानत मिल जाए

राजधानी अस्पताल की ICU में आग लगने से पांच लोगों की मौत पर पुलिस ने शनिवार देर रात प्रबंधन के खिलाफ सिर्फ लापरवाही से मौत का केस दर्ज किया है। पुलिस कहना चाहती है कि लापरवाही से पांच जानें चली गईं। पुलिस को पता नहीं कि प्रबंधक कौन हैं, इसलिए किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई। पुलिस की कागजी कार्रवाई चल रही है। अस्पताल को तो नोटिस दे ही दिया है। सोमवार को फॉरेंसिक टीम जांच करेगी।

TI संजीव मिश्रा कहते हैं कि अस्पताल को सील किया गया है। किसी को भीतर जाने नहीं दिया गया। फोरेंसिक जांच के बाद ही अस्पताल को खोला जाएगा। कहा कि प्रारंभिक जांच में शॉर्ट-सर्किट से आग लगना पाया गया है। SICU वार्ड है, तो वहां हर जगह एसी लगा हुआ है। इसके अलावा वॉल फैन लगा हुआ है। शॉर्ट सर्किट से पहले एसी में आग लगी है। उसके बाद पंखा में आग लगी। एसी जलकर पिघल गई। SICU चारों तरफ से पैक था। धुंआ बाहर निकलने की जगह नहीं थी। धुंआ भर गया था। लोगों का दम घुटने लगा था। एक मरीज आधा जला है।

FIR दर्ज कराने वाले नरोत्तम सोनकर के पिता की जलकर हुई मौत

भाठागांव के नरोत्तम प्रसाद सोनकर ने FIR दर्ज कराई है। उसने अपने पिता भक्तशरण सोनकर (60) को राजधानी अस्पताल में भर्ती कराया था। उनका कोरोना पॉजिटिव बताया था। उन्हें SICU के कमरा नंबर-115 में रखा गया था। नरोत्तम ने बताया कि वो 17 अप्रैल की दोपहर अस्पताल के बाहर ग्रेनाइट दुकान के पास बैठे थे, तभी दूसरी मंजिल से धुंआ निकलते देखा, तो अस्पताल की ओर दौड़ा। भीतर अफरा-तफरी थी। चीख-पुकार मची थी। लोग आग बुझाने के लिए चिल्ला रहे थे, लेकिन कोई सुन नहीं रहा था। वहां आग बुझाने का कोई सामान नहीं था।

नरोत्तम किसी तरह अपने पिता को उठाकर नीचे लाया। उनका चेहरा काला हो गया था। बाहर खड़ी एंबुलेंस में डालकर तुरंत संजीवनी अस्पताल दावड़ा कॉलोनी ले गए। वहां डाक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। प्रबंधन के द्वारा अस्पताल में अग्निशमन की कोई व्यवस्था नहीं की है। अस्पताल में आग बुझाने का कोई संयंत्र नहीं था। नरोत्तम ने बताया कि बाद में जानकारी मिली कि अस्पताल में भर्ती मरीज वंदना जगमलानी (43) खैरागढ़, रमेश साहू (39) कवर्धा, ईश्वर राव (53) चरोदा, देवकी सोनकर (47) मगरलोड़ की भी आग में झुलसने से मौत हो गई। इनकी रिपोर्ट पर FIR दर्ज हुई और IPC की 304-ए के तहत केस दर्ज किया गया। ये धारा उन पर लगाई जाती है, जिनकी लापरवाही की वजह से किसी की मौत हो जाती है। इसमें थाने से तुरंत जमानत मिल जाती है।

अस्पताल की जांच का नियम
सीनियर वकील एसके फरहान का कहना है कि किसी भी हादसे में मौत होने पर लापरवाही से मौत का केस दर्ज किया जाता है। हालांकि अस्पताल संचालक की कई सारी शर्तें हैं। समय-समय पर प्रशासन, निगम से लेकर कई जिम्मेदार एजेंसियों को जांच करना होता है। नर्सिंग एक्ट के नियम के अनुसार अनुमति दी जाती है। शर्तों का कितना पालन किया गया था। यह देखना चाहिए। वहीं, रिटायर DSP बीएस जागृति का कहना है कि कार्रवाई सही है, जानबूझकर या साजिश के तहत की गई घटना नहीं है। लेकिन जवाबदारी तय होनी चाहिए। मुआवजा मिलना चाहिए।

5 की मौत के बाद अब अस्पतालों को निर्देश
घटना के दूसरे दिन रविवार को स्वास्थ्य विभाग ने एक पत्र जारी किया। अब उसने प्रदेश के सभी अस्पतालों को सुरक्षा मानकों का पालन करने के लिए कड़ा निर्देश जारी किया है। इधर, रायपुर में भी पांच मौतों की जांच CMO डॉक्टर मीरा बघेल करेंगी। अगर कुछ मिला तो उसके बाद कार्रवाई हेल्थ विभाग करेगा

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