रायपुर। नवा रायपुर में आयोजित रोड सेफ्टी वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट के लिए शुक्रवार से खिलाड़ियों का पहुंचना शुरू हो गया है। माना एयरपोर्ट पर पहुंचते ही पुलिस ने उन्हें सुरक्षा घेरे में ले लिया। सीरीज चलने के दौरान 24 दिन खिलाड़ी जवानों के सुरक्षा घेरे में रहेंगे। सभी टीमों की सुरक्षा में 1600 से ज्यादा पुलिस जवानों और अफसरों की ड्यूटी लगाई गई है। खिलाड़ियों की सुरक्षा में तैनात अफसरों और जवानों पर करीब साढ़े चार करोड़ खर्च किए जाएंगे। पूरी रकम सरकार वहन करेगी। आयोजन समिति इसके एवज में कोई भुगतान नहीं करेगी।
मैच के भीतर और बाहर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रखने के लिए राज्य के अधिकांश शहर से चुन-चुनकर अधिकारियों की जिम्मेदारी बांटी गई है। दूसरे शहरों और जिलों से आ रही फोर्स के ठहराने, भोजन से लेकर गाड़ियों की व्यवस्था में 4 करोड़ से ज्यादा का खर्च होगा। सुरक्षा में होने वाले इन खर्चों को पुलिस विभाग खुद वहन करेगा। मैच का आयोजन करने वाली एजेंसी से इसका पैसा नहीं लिया जाएगा। इसके पहले अब तक राज्य में जितनी बार आईपीएल या इसी तरह के बड़े के आयोजन हुए हैं, उस दौरान सुरक्षा में भारी फोर्स लगायी गयी थी। उस समय भी सरकार ने सुरक्षा निधि नहीं लेने का फैसला लिया गया था।
एक जवान पर रोज होंगे 1200 रुपए खर्च
मैच की सुरक्षा में तैनात होने वाले 1600 सौ जवानों में रोज एक जवान के पीछे औसतन 1200 खर्च आएगा। इसमें उनके दो टाइम का भोजन व आने-जाने की गाड़ी का खर्च शामिल रहेगा। ठहरने की व्यवस्था जिला पुलिस करेगी। एक अधिकारी पर तकरीबन 1500 से ज्यादा खर्च आएगा, क्योंकि पुलिस ऑफिसर्स मेस में ठहरने का रोजाना 500 और भोजन पर 500 रुपए खर्च तय है। इसके अलावा आने-जाने का भत्ता 500 तय किया गया है।
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मप्र-राजस्थान में सिस्टम अलग
एमपी, राजस्थान समेत अधिकांश राज्यों में इस तरह के आयोजन पर समिति को सुरक्षा खर्च देना पड़ता है। मैच आयोजन करने वाली समिति और आयोजकों से पहले ही इस बारे में सौदा तय कर लिया जाता है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यहां फिलहाल ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। सरकार या पुलिस विभाग खुद ही सुरक्षा का खर्च उठाएगा। इस तरह के आयोजन होना राज्य के लिए उपलब्धि है, इसलिए सरकार सुरक्षा शुल्क पर छूट दे रही है।
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वेतन के साथ दिया जाता है भत्ता
पुलिस जब भी निजी संस्था में सुरक्षा के लिए जवान उपलब्ध कराती है तब उनसे रोज का वेतन लिया जाता है। बैंक में दो या तीन जितने भी सिपाहियों की ड्यूटी लगने पर बैंक को उन सिपाहियों का रोज का वेतन पुलिस को देना पड़ता है। यही सिस्टम सभी सरकारी संस्थानों में किया जाता है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार कोई भी अपने मूल काम के अलावा दूसरी तरह की ड्यूटी कर करते हैं, तो वेतन समेत भत्ता दिया जाता है।