बिलासपुर। वन विभाग के निर्माण कार्यों को निजी ठेके पर देने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर गुस्र्वार को वीडियो कांफ्रेसिंग में सुनवाई नहीं हो पाई। अब इस मामले की सुनवाई नियमित कोर्ट में होगी। चंद्रकांत पारगीर ने अधिवक्ता जयप्रकाश शुक्ला के माध्यम से जनहित याचिका लगाई है। इसमें बताया है कि 14 जुलाई 2020 को राज्य शासन ने कैबिनेट में वन विभाग के निर्माण कार्य विभागीय तौर पर कराने के बजाय ठेका पद्धति से कराने का निर्णय लिया है।
इसमें वन विभाग के निर्माण कार्य जैसे भवन, सड़क, एनीकट, स्टापडेम, तालाब, मचान, बैरियर सहित अन्य काम शामिल हैं। इस संदर्भ में 13 अगस्त को वन विभाग व 14 अक्टूबर 2020 को सीसीएफ ने भी आदेश जारी कर दिया है। विभागीय निर्माण निजी तौर पर कराने के पीछे रोजगार देने की बात कही गई है। याचिका में इस फैसले को चुनौती देते हुए कहा गया कि शासन के निर्णय में यह उल्लेख नहीं है कि जंगलों में लगे पेड़-पौधों व वन्य प्राणियों की सुरक्षा कैसे की जाएगी। जंगलों का काम विभागीय तौर पर कराने की मंशा ही बाहरी लोगों की आवाजाही रोकना और जंगलों की सुरक्षा करना था।
इस नए नियम से वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट, वन सुरक्षा अधिनियम, सुप्रीम कोर्ट व केंद्र शासन के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन होगा। याचिका में शासन के इस फैसले से अपने चहेतों को उपकृत करने के साथ ही वनों के साथ वन्य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर खतरा बताया गया है। इस प्रकरण की पिछली सुनवाई के दौरान शासकीय वकील ने बताया था कि मामले में संशोधित आदेश जारी करने की प्रक्रिया चल रही है। इसके लिए वनों को संरक्षित कर ठेका देने संबंधी नियम बनाने पर विचार चल रहा है। लेकिन, अब तक शासन से इस संबंध में कोई दिशानिर्देश जारी नहीं किया जा सका है।