हसदेव पर राहुल की बात: कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में उठा हसदेव जंगल का सवाल…राहुल गांधी ने कहा- वे पार्टी के भीतर इस पर बात कर रहे है…जल्द दिखेगा नतीजा
रायपुर। छत्तीसगढ़ के सरगुजा, सूरजपुर और कोरबा जिलों में फैले हसदेव अरण्य में कोयला खनन का मुद्दा लंदन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में उठा है। वहां पहुंचे राहुल गांधी से स्टूडेंट ने इसके बारे में सवाल किया। जवाब में राहुल गांधी ने कहा, वे इस मुद्दे पर पार्टी के भीतर बात कर रहे हैं। जल्दी ही इसका नतीजा दिखेगा।
राहुल गांधी पिछले चार दिन से लंदन में हैं। वे वहां कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में आयोजित संवाद में हिस्सा लेने पहुंचे हैं। सोमवार शाम उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के “कॉर्पस क्रिस्टी कॉलेज’ में आयोजित “इंडिया@75′ कार्यक्रम में स्टूडेंट्स के साथ बातचीत की। इन छात्रों में अधिकतर भारतीय मूल के थे।
कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद खनन की अनुमति क्यों ?
XR यूथ कैंब्रिज से जुड़े स्टूडेंट्स ने राहुल से पूछा कि 2015 में आपने हसदेव अरण्य क्षेत्र में आदिवासियों से कहा था कि वे वह उनके अधिकारों की रक्षा के लिए और कोयला खनन के खिलाफ उनके साथ खड़े रहेंगे। अब जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है, वनों की कटाई और खदानों के विस्तार की अनुमति कैसे मिल रही है। इसके जवाब में राहुल गांधी ने कहा, वे इस मुद्दे पर पार्टी के भीतर ही बात कर रहे हैं। जल्दी ही इसका नतीजा सामने आएगा।
प्रदेश भर में हो रहा है विरोध
इधर हसदेव में खनन गतिविधियों के खिलाफ प्रदेश भर में आक्रोश बढ़ रहा है। कई संगठन अलग-अलग मंचों से इसका विरोध कर रहे हैं। लगभग हर रोज कहीं न कहीं इसके विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं। परसा कोल ब्लॉक से प्रभावित गांवों के लोग वहां करीब तीन महीनों से धरने पर बैठे हैं। वहीं ग्रामीण जंगलों में पेड़ों की रखवाली करते घूम रहे हैं। विभिन्न अदालतों में भी इससे जुड़े मामले चल रहे हैं।
राजस्थान सरकार ने बढ़ाया दबाव
इस बीच राजस्थान सरकार ने खनन शुरू कराने का दबाव बढ़ाया है। राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक आरके शर्मा ने मंगलवार को मुख्य सचिव अमिताभ जैन से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने जल्द से खनन शुरू कराने में प्रशासन की मदद मांगी। उनका कहना था, उनके परसा केते बासन खदान में केवल जून के पहले सप्ताह तक का कोयला है। अगर जल्दी ही दूसरी खदानें शुरू नहीं हुईं तो उनके थर्मल पावर प्लांट बंद हो जाएंगे। शर्मा ने सोमवार को सरगुजा और सूरजपुर के कलेक्टर-SP से भी मुलाकात की थी।
हसदेव पर खदानों से आया संकट
हसदेव अरण्य उत्तर छत्तीसगढ़ के एक लाख 70 हजार हेक्टेयर में फैला विशाल और घना जंगल है। इसमें बहुत से कोल ब्लॉक भी हैं। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने जुलाई 2019 में ही यहां परसा कोयला खदान को पर्यावरणीय मंजूरी प्रदान की थी। आगे-पीछे कुछ दूसरी खदानों को भी मंजूरी दे दी गई। उसके साथ ही संकट बढ़ा और विरोध शुरू हुआ। हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति सहित स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाया था, जिस प्रस्ताव के आधार पर यह स्वीकृति दी गई है वह ग्राम सभा फर्जी थी। सरकार ने बात नहीं सुनी और अलग-अलग तिथियों पर अगली मंजूरी भी जारी कर दी गई। मार्च-अप्रैल में राज्य सरकार ने वन भूमि को खनन के लिए देने की मंजूरी जारी की। 26 अप्रैल को कंपनी ने बिना अनुमति के ही पेड़ों की कटाई शुरू कर दी। स्थानीय ग्रामीणों के विरोध के बाद वे भागे।