राजधानी रायपुर की 22 कंपनियों की रजिस्ट्री होगी रद्द: उद्योग खोलने के लिए 10 साल पहले छूट में ली थी जमीन…न उद्योग लगाया, न स्टांप फीस अदा की
रायपुर। राजधानी रायपुर में 10 साल पहले सरकारी राहत लेकर नए उद्योग के लिए जमीन लेने वाले 22 कंपनियों की रजिस्ट्री रद्द करने की तैयारी है। इन कंपनियों ने स्टांप शुल्क तुरंत अदा न करने की राहत लेकर जमीन ली थी। कंपनियों को पांच साल के भीतर उद्योग स्थापित करने के साथ स्टांप शुल्क अदा करना था। मियाद की अवधि गुजरे भी पांच साल हो गए लेकिन कंपनी प्रबंधकों ने न तो उद्योग स्थापित किया और न ही स्टांप ड्यूटी अदा की है। ऐसे कंपनियों की लिस्ट बनाकर उन्हें नोटिस जारी कर दिया गया है।
जांच में ये भी खुलासा हुआ है कि 50 कंपनियां ऐसी हैं जिन्होंने उद्योग तो लगाया लेकिन स्टांप शुल्क की अदायगी नहीं की। अब इन सभी कंपनियों पर सख्ती की तैयारी है। जिला रजिस्ट्री विभाग ने इन सभी उद्योगों की पहचान कर उद्योगपतियों को दो टूक कहा जा रहा है कि वे जल्द से जल्द स्टांप शुल्क की अदायगी करें नहीं तो उनकी रजिस्ट्री शून्य कर दी जाएगी। राजधानी में यह अपनी तरह का अलग मामला है।
जिन्हें जमीनें आवंटित की गईं उनमें ज्यादातर बाहरी राज्यों की कंपनियां
उद्योग लगाने के लिए जिन कंपनियों को रायपुर जिले में जमीन का आवंटन किया गया है उनमें ज्यादातर दूसरे राज्यों की कंपनियां हैं। दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों की कंपनियों ने रायपुर जिले में जमीन तो ले ली, लेकिन उसमें उद्योग नहीं लगाए।
अधिकतर कंपनियों ने इन जमीनों पर बाउंड्रीवॉल करवा ली है ताकि उनकी जमीन पर किसी भी तरह का कोई कब्जा न हो। दस साल बाद भी उद्योग नहीं लगाने वाले उद्योगपतियों का जमीन आवंटन भी रद्द किया जा सकता है। इसके लिए संबंधित शासकीय विभाग ने कागजी प्रक्रिया शुरू कर दी है। नवा रायपुर में भी कई रियल एस्टेट बिल्डर और बाहरी राज्यों की कंपनियों को किया गया जमीन का आवंटन रद्द किया जा रहा है। इन्होंने भी जमीन लेने के बाद अपने प्रोजेक्ट शुरू नहीं किए।
10 करोड़ से ज्यादा की होगी वसूली
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि उद्योगों पर स्टांप शुल्क का 10 करोड़ से ज्यादा बकाया है। इन कंपनियों के प्रबंधकों ने रजिस्ट्री तो करा ली, लेकिन स्टांप शुल्क अब तक नहीं दिया गया। लगातार नोटिस और चेतावनी के बाद भी ये उद्योग बकाया स्टांप शुल्क का भुगतान नहीं कर रहे हैं।
यह वजह है कि इन उद्योगों को नोटिस जारी की जा रही है। अफसरों से मिली जानकारी के अनुसार जिन उद्योगों को नोटिस जारी की जा रही है उन्हें एक से तीन महीने का समय दिया जा रहा है। तय समय में स्टांप शुल्क की अदायगी नहीं की गई तो रजिस्ट्री शून्य करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
तीन साल पहले भी दिया नोटिस
जिला पंजीयन विभाग की ओर से 3 साल पहले भी करीब दो दर्जन उद्योगों को नोटिस जारी की गई थी। उनमें से कई ने स्टांप शुल्क भी अदा किया था। बाद में सख्ती नहीं होने से बाकी बकायादारों ने शुल्क जमा नहीं किया। जिन उद्योगों को नोटिस दी गई है उनमें से ज्यादातर की जमीन मंदिरहसौद, आरंग, सारागांव, दोंदे, सिलतरा, धरसींवा आदि में स्थित है।
इन उद्योगों को एकड़ों में जमीन दी गई है। कई कंपनियां ऐसी हैं जिन्हें नवा रायपुर में भी जमीन मिली है। अफसरों का दावा है कि शुल्क की हर हाल में वसूली की जाएगी। कई कंपनियां ऐसी हैं जिनसे 50 लाख से 1 करोड़ तक की भी वसूली की जानी है।
कोर्ट से ले लिया स्टे
जिला पंजीयक विभाग की ओर से जैसे ही नोटिस भेजने का सिलसिला शुरू किया गया, इसके विरोध में कुछ कंपनियां कोर्ट में चली गई हैं। उन्होंने कई कारणों से उद्योग शुरू नहीं होने का हवाला दिया है। स्टांप शुल्क देने के लिए अतिरिक्त समय की मांग करने के साथ ही शुल्क माफी की भी याचिका लगाई गई है। कुछ कंपनियों को नोटिस के खिलाफ कोर्ट का स्टे भी मिल गया है।
जिन कंपनियों ने स्टांप शुल्क अदा नहीं किया है उनसे बकाया शुल्क और उस पर अब तक का ब्याज वसूला जाएगा। ऐसे सभी उद्योगों की पहचान कर ली गई है। शुल्क अदा न होने पर रजिस्ट्री शून्य करने की भी कार्रवाई की जाएगी – बीएस नायक, वरिष्ठ मुख्य पंजीयक रायपुर