छत्तीसगढ़ पुलिस की उपलब्धि: 200 से ज्यादा गांवों में अब नजर नहीं आती नक्सलियों की दखल और दहशत
जगदलपुर। बस्तर के अंदरूनी इलाकों में पुलिस कैंप खोलना एक बड़ी जंग में हिस्सा लेने से कम नहीं है। कैंप खोलने के दौरान जवानों पर हमले, गाड़ियां जलाना, प्रायोजित प्रदर्शन भी होते हैं। ऐसे में बस्तर जिले के डीएसपी ऑपरेशन भार सिंह मंडावी एक ऐसा नाम है, जो कैंप खुलवाने में माहिर माने जाते हैं।
2015 में पुलिस फोर्स ज्वाइन करने के बाद से इनकी ड्यूटी का ज्यादातर समय नक्सल मोर्चे पर ही बीता है। डीएसपी भार सिंंह नक्सल प्रभावित इलाकों में जाकर वहां कैंप खुलवाते हैं, सड़कें बनाते हैं और लोगों के लिए विकास का नया दरवाजा खोलते हैं।
अब तक डीएसपी भार सिंह मंडावी कोलेंग, चांदामेटा, रेखाघाटी, बोदली, मालेवाही, तिरिया, गुढ़िया चौक जैसी 7 जगहों पर पुलिस कैंप खुलवा चुके हैं। इन कैंपों के खुलने से आसपास के 200 से ज्यादा गांवों में नक्सलियों का दखल खत्म हो चुका है। कैंप खुलवाने के लिए आदिवासियों से बातचीत से लेकर कैंप खुलने तक सुरक्षा की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधे पर रहती है। कैंप खुलने से इलाकों तक सड़कें, सरकारी योजना, स्कूल, बिजली, साफ पानी पहुंचता हैं। इलाके के लोग जागरूक होते हैं। एक कैंप से इलाके के 30 से ज्यादा गांवों में नक्सलवाद के पैर उखड़ते हैं।
राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार के लिए भी भेजा जा रहा नाम
डीएसपी मंडावी कैंपों के खुलवाने के दौरान 50 से ज्यादा मुठभेड़ का सामना कर चुके हैं। उन्होंने 14 नक्सलियों को मार गिराया। तिरिया एनकाउंटर के लिए उनका नाम राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार के लिए भेजा जा रहा है। डीएसपी मंडावी ने हाल ही में चांदामेटा में कैंप खुलवाया है। यहां सीआरपीएफ तैनात हो गई है। ये काम पूरा होते ही उनके लिए नए टास्क के तौर पर काटाबांस-धरमबेड़ा में कैंप खुलवाने की चुनौती खड़ी हो गई है।