रायपुर। छत्तीसगढ़ के डीजीपी डीएम अवस्थी ने वाड्रफनगर के उप पुलिस अधीक्षक धुर्वेश जायसवाल को सस्पेंड कर दिया था। निलंबन आदेश के विरुद्ध धुर्वेश जायसवाल द्वारा अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं लक्ष्मीन कश्यप के माध्यम से हाईकोर्ट, बिलासपुर के समक्ष रिट याचिका दायर की थी।
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अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं लक्ष्मीन कश्यप ने कहा था कि डीजीपी को एसडीओपी धुर्वेश जायसवाल के विरुद्ध कोई शिकायत प्राप्त हुई थी तो निलंबन आदेश जारी करने से पूर्व धुर्वेश जायसवाल के विरुद्ध कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे जवाब लेने के पश्चात ही जवाब से असंतुष्ट होने पर निलंबन की कार्रवाई की जानी थी।
धुर्वेश जायसवाल का मूल पद उप पुलिस अधीक्षक है जो राजपत्रित अधिकारी की श्रेणी में आता है एवं उक्त पद का नियुक्तिकर्ता अधिकारी सचिव, गृह विभाग है। पुलिस महानिदेशक रायपुर द्वारा धुर्वेश को निलंबन आदेश जारी करने के 90 दिवस के भीतर सचिव, गृह विभाग द्वारा धुर्वेश जायसवाल को आरोप पत्र जारी किया जाना था।
परंतु सचिव गृह विभाग द्वारा निलंबन आदेश के 90 दिवस के भीतर आरोप पत्र जारी ना कर छ।ग। सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1968 के उपनियम 9 (5) (ए) का उल्लंघन किया गया है। अतः डीएसपी धुर्वेश निलंबन से बहाली का पात्र है।
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उच्च न्यायालय, बिलासपुर द्वारा उक्त रिट याचिका की सुनवाई के पश्चात् याचिका को स्वीकार कर डीजीपी, रायपुर को यह निर्देशित किया गया की वे डीएसपी धुर्वेश द्वारा निलंबन से बहाली हेतु प्रस्तुत आवेदन पर सिविल सेवा नियमों के तहत आदेश पारित करते हुए उन्हें निलंबन से बहाल करें।
कई शिकायतों के बाद डीजीपी ने डीएसपी धुर्वेश जायसवाल को निलंबित कर दिया था। लेकिन कोर्ट ने उन्हें तत्काल बहाल करने के आदेश दिए है। हाईकोर्ट, बिलासपुर के समक्ष रिट याचिका दायर की थी। अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं लक्ष्मीन कश्यप द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया था।