सक्ती जिले मे बाराद्वार एसबीआई में पदस्थ कैशियर रामकिशोर डोमर की हत्या उसकी पत्नी साक्षी उर्फ चांदनी डोमर ने अपने प्रेमी कुलदीप साहू के साथ मिलकर की थी। मामले की प्रत्यक्षदर्शी डोमर दंपती की चार साल की बेटी समीक्षा थी। उसकी गवाही इस मामले में कारावास की सजा दिलाने में महत्वपूर्ण साबित हुई है। उसने कोर्ट में गवाही दी कि, मम्मी (चांदनी डोमर) ने पापा (रामकिशोर डोमर) के पैर पकड़े थे और चाचा (कुलदीप साहू) ने पापा का गला चाकू से काट दिया था। इस बच्ची की गवाही और अन्य गवाहों के बाद साक्ष्य प्रमाणित होने पर प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश बीआर साहू ने चांदनी डोमर और कुलदीप साहू को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
अतिरिक्त लोक अभियोजक ऋषिकेश चौबे ने बताया कि बाराद्वार एसबीआई में पदस्थ रामकिशोर डोमर का विवाह 18 मार्च 2013 को साक्षी उर्फ चांदनी से हुआ था। रामकिशोर का सरवानी निवासी कुलदीप साहू के साथ दोस्ती थी। उसका कैशियर के घर आना जाना था। उस दौरान कुलदीप का उसकी पत्नी से भी परिचय हो गया और दोनों के बीच प्रेम संबंध भी हो गया। कुलदीप ने रामकिशोर से डेढ़ लाख रुपए उधार लिए थे। जिसे वह वापस नहीं कर रहा था। उधार की रकम कुलदीप से मांगने पर उसकी पत्नी साक्षी से उसके पति का विवाद भी होने लगा था। इस दौरान रामकिशोर का ट्रांसफर कोरबा हो गया, लेकिन उसकी पत्नी बाराद्वार से जाने के लिए तैयार नहीं हुई।
इसकी जानकारी उसने अपने दोस्त को देते हुए बताया था कि उसका कुलदीप से अवैध संबंध है। कुलदीप और साक्षी दोनों रामकिशोर को मारना चाह रहे थे। घटना दिनांक 22 सितंबर 2018 को गणेश विसर्जन के दिन पूर्व नियोजित ढंग से दोनों ने मिलकर रामकिशोर का गला चाकू से रेतकर हत्या कर दी। इस घटना को डोमर दंपती की बेटी समीक्षा (तब उसकी उम्र 4 साल थी) ने देखा था। पुलिस ने विवेचना के बाद कोर्ट में मामला प्रस्तुत किया था। गवाही के बाद जज ने दोनों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।