जिला अस्पताल बदहाल: बिलासपुर के दूसरे सबसे बड़े हॉस्पिटल से वापस लौट रहे मरीज…ओपीडी बंद…मरीज चला रहे व्हीलचेयर…इमरजेंसी में भी इलाज की गारंटी नहीं

बिलासपुर। जिले के दूसरे सबसे बड़े जिला अस्पताल की स्थिति खराब हो चुकी है। रोजाना सर्दी-खांसी और वायरल फीवर के इस सीजन में यहां मरीजों को इलाज मिलेगा या नहीं इस बात की कोई गारंटी नहीं। ओपीडी बंद है, चोटिल मरीज खुद दूसरे मरीज का व्हीलचेयर चला रहे हैं। हेल्प डेस्क से लेकर पर्चा काटने वाले कर्मचारी गायब हैं। अस्पताल प्रबंधन को इसकी जानकारी भी दी गई है, लेकिन ना तो व्यवस्था ठीक हो रही और ना ही व्यवस्थाएं सुधर रही, जिसके चलते यहां आने वालों की परेशानी बढ़ती जा रही है।
मीडिया ने मंगलवार की दोपहर 12 बजे जिला अस्पताल का जायजा लिया। ऐसा पहली बार दिखा जब ओपीडी पूरी तरह बंद थी। यहां जांच इलाज की सुविधाएं भी पूरी तरह ठप रही। ऑक्सीजन सिलेंडर बरामदे में बारिश में भीगता दिखा और मरीजों के नाम पर सिर्फ 10 लोग ही वार्डों में नजर आए। गिनती के डॉक्टर इमरजेंसी में थे, जो सिर्फ दो वार्डों में कथित रूप से व्यवस्थाएं संभाल रहे थे।

आसपास लोगों से पूछताछ हुई तो उन्होंने बताया कि यहां काम करने वाले जीवनदीप समिति के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। वे अस्पताल परिसर में ही बैठकर वेतन बढ़ाने की मांग रहे हैं। उनसे भी बात हुई तो उन्होंने काम पर आने से मना कर दिया। बोले जब तक हमारी मांग पूरी नहीं होगी काम पर नहीं आएंगे। इनमें वे कर्मचारी शामिल थे, जो पूरी तरह अस्पताल की व्यवस्थाएं संभालने वाले थे।
पढ़िए, कुछ ऐसे मामले, जिनमें रिश्वतखोरी के लिए दुस्साहस – डॉक्टर ने मांगे 5 हजार
शहर के रहने वाले अजय रजक अपनी पत्नी का डीएसी कराने जिला अस्पताल पहुंचे। उन्होंने यहां की महिला डॉक्टर से मुलाकात की। उनकी पत्नी के पेट में दर्द था, जिसके लिए डीएनसी कराने को कहा गया। डॉक्टर ने पीड़िता के पति से पांच हजार रुपए मांगे। नहीं देने पर उन्होंने जांच इलाज नहीं किया। सिविल सर्जन ने उन्हें पहले भी ऐसा करने से मना किया था, लेकिन वे नहीं मानीं।
बाहर 40 हजार खर्च होंगे, यहां चार हजार ही दे दो
तिफरा के रवि साहू यहां अपनी पत्नी की डिलीवरी करवाने पहुंचे। यहां एक वरिष्ठ डॉक्टर ने इसकी प्रक्रिया आगे बढ़ाई। उसने पीड़िता के पति से चार हजार रुपए मांगे और नॉर्मल डिलीवरी करने की बात कही। जिसके बाद बच्चा हुआ और ना सिर्फ बच्चे बल्कि उसकी मां की कंडीशन भी खराब हो गई। अस्पताल को सिम्स रेफर किया गया। फिर से पीड़िता के परिजन से पैसों की मांग हुई।
यह सारी बात बड़े स्तर की है, मुझे कुछ नहीं पता
अस्पताल में रिश्वतखोरी सहित अन्य मामलों की जांच के बारे में मुझे कुछ नहीं पता। यह सारी बातें बड़े स्तर की है। मंगलवार को डॉक्टरों की छुट्टी रहती है, इसलिए ओपीडी बंद रहती है। बाकी सवालों का जवाब बड़े अधिकारी ही दे सकते हैं। – डॉ. बीडी सिंह, आरएमओ, जिला अस्पताल