तीन बंदर कर रहे थे जानलेवा हमला: 10 लोगों को किया गंभीर रूप से घायल…एक महिला का पैर काटने की नौबत…3 जिलों की टीम ने मिलकर पकड़ा
दुर्ग। जिले में पिछले तीन चार दिनों से बंदरों का आतंक है। तीन बंदर इतने उत्पाती हो गए थे कि वो इंसान पर हमला करके उन्हें घायल कर रहे थे। इन बंदरों ने अब तक 10 लोगों को बुरी तरह घायल कर दिया है। बुधवार सुबह भी ओडिशा से आई एक 55 साल की महिला के पैर को बंदर ने बुरी तरह काटा, जिससे उसे रायपुर मेकाहारा रेफर करना पड़ा। बंदर ने महिला के पैर से मांस नोच लिया है।
एक निजी मीडिया संस्थान से बातचीत में दुर्ग डीएफओ शशि कुमार ने बताया कि शहर में तीन बंदर उत्पाती हो गए थे। वो लोगों पर हमला करने लगे थे। उन्होंने सबसे पहले सोमवार को 6 लोगों पर हमला किया। इसके बाद मंगलवार तीन और फिर बुधवार को एक महिला को इतनी बुरी तरह काटा कि उसके पैर की हड्डी दिखने लगी है।
उसे जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां से महिला को सीधे रायपुर रेफर किया गया। घायल महिला का नाम अहिल्या कख (55 साल) है। वह अपनी बेटी सुजाता सोनी के घर दुर्ग आई थी। सुजाता ने बताया कि उसकी मां सुबह 8 बजे पास की दुकान में दूध लेने गई थी। वहां अचानक बंदर आया और महिला के पैर को इतना बुरी तरह काटा कि महिला वहीं गिर गई। आसपास के लोगों ने किसी तरह महिला को बचाया। इसके बाद उसे जिला अस्पताल भिजवाया गया। डाक्टरों ने कहा कि महिला की हालत गंभीर है, अगर जल्दी काबू में नहीं आई तो उसका पैर काटना पड़ेगा।
झुंड से अलग होने और लोगों द्वारा छेड़ने से हिंसक हुए बंदर
डीएफओ शशि कुमार ने बताया कि तीनों बंदर नर हैं। बंदरों के झुंड ने उन्हें अपने से अलग कर दिया था। इससे वह पहले से हिंसक हो गए। कसारीडीह क्षेत्र में कुछ लड़कों ने बंदरों को पत्थरों से मारा और काफी परेशान किया। इसके बाद वह इतने हिंसक हो गए कि लोगों पर हमला करने लगे। बाद में वन विभाग दुर्ग, राजनांदगांव और रायपुर से आई विशेष टीम ने तीनों बंदरों का रेस्क्यू किया। बंदरों को पकड़ने में स्नेक रेस्क्यू करने वाले राजा की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
डीएफओ ने लोगों से की अपील
डीएफओ शशि कुमार ने लोगों से अपील की है कि बंदर वन्य प्राणी है। उससे दूरी बनाकर रखें। उसे घर की बनी चीजें खिलाने की कोशिश और उससे मारने या छेड़ने का कार्य न करें। इससे बंदर हिंसक होता है और लोगों पर अटैक करने लगता है।
मैत्रीबाग में निगरानी में रखे जाएंगे तीनों बंदर
वन विभाग तीनों बंदरों को कुछ दिनों तक मैत्रीबाग जू में रखेगा। यहां उनके बर्ताव की निगरानी की जाएगी। जैसे ही वह शांत हो जाएंगे उन्हें आबादी से क्षेत्र से दूर जंगल में रिलीज कर दिया जाएगा।
घायल महिला को नहीं मिला इलाज
इधर, बंदर के काटने से घायल महिला के दामाद विजय सोनी का आरोप है कि उसकी मां का कहीं इलाज नहीं किया जा रहा है। जिला अस्पताल दुर्ग ले जाते ही डॉक्टर ने बिना देखे घायल को रायपुर रेफर कर दिया। यहां से एंबुलेंस ने मेकाहारा में उन्हें छोड़ा। वहां डॉक्टरों ने एक्सरे कराने के लिए कहा। एक्सरे रूम में एक भी टेक्नीशियन न होने से उन्हें कई घंटे तक इलाज नहीं मिला। वहीं डीएफओ दुर्ग का कहना है कि उन्होंने एसडीओ और रेंजर की ड्यूटी इस कार्य के लिए लगाई है। उन्हें घायलों का इलाज कराने के साथ ही उचित मुआवजा देने के निर्देश दिए गए हैं।
पानी के लोटे के अंदर सिर डालना भारी पड़ गया
धमतरी जिले में बंदर के बच्चे को पानी के लोटे के अंदर सिर डालना भारी पड़ गया। पानी पीने के दौरान उसका सिर ही लोटे के फंस गया। इसे बाद उसकी मां उसे यहां-वहां लेकर घूमती रही। आसपास के लोगों न उसके सिर से लोटा निकालने का काफी प्रयास किया, मगर बात नहीं बनी। आखिरकार 2 दिन बाद लोटा अपने आप ही उसके सिर से निकल गया, जिसके बाद उसकी जान बच सकी है।
नगरी क्षेत्र में वन विभाग का लड़की रखने वाला काष्ठगार है। इसी के पास में भगवान शिव का मंदिर है। जहां बड़ी संख्या में बंदर रहते हैं। यहां आने-जाने वाले लोग इन बंदरों का कुछ ना कुछ खाने के लिए देते रहते हैं। यह भी एक वजह है कि यहां बंदर हमेशा मंदिर के चारों तरफ घूमते रहते हैं। आने-जाने वाले लोगों से खाने का सामान भी छीन लेते हैं।