रायपुर

गैर इरादतन हत्‍या के आरोप में राजधानी अस्‍पताल के दो डाक्‍टर गिरफ्तार

रायपुर। राजधानी अस्पताल के कोविड वार्ड में आग लगने से सात मरीजों की मौत के मामले में बड़ी कार्रवाई की गई है। लगातार दबाव के बाद पुलिस ने अब गिरफ्तारी शुरू कर दी है। गैर इरादतन हत्‍या के आरोप में दो डाक्‍टरों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। अन्‍य आरोपितों की तलाश जारी है।

टिकरापारा पुलिस ने मंगलवार तड़के आमसिवनी से राजधानी हॉस्पिटल के संचालक डॉ.अनिदो राय और डॉक्टर सचिन मल को डॉल्फिन प्लाजा से गिरफ्तार किया। मामले में केस दर्ज होने के बाद अस्पताल से जुड़े डॉ. सचिन मल्‍ल, डॉ. संजय जाधवानी, डॉ. विनोद लालवानी और डॉ.आनिंदो राय पुलिस के सामने नहीं आए थे। फिलहाल दो आरोपितों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

टिकरापारा थाना क्षेत्र में स्थित राजधानी अस्पताल में 16-17 अप्रैल की रात अचानक कोविड वार्ड में आग लग गई थी। इसमें सात मरीजों की जलकर या धुएं से दम घुटने से मौत हुई थी। इस दर्दनाक घटना के बाद मृतक के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों के खिलाफ थाना टिकरापारा में शिकायत दर्ज कराई थी। पीड़ित परिजनों की शिकायत के बाद थाने में अपराध दर्ज किया गया था।

इस अस्पताल को शहर के पांच डाक्टर मिलकर संचालित करते हैं। लिहाजा पांचों को मामले में आरोपित बनाया गया है। कल रात में ही अस्पताल को पूरी तरह से खाली कराकर उसे सील कर दिया गया था। अब पुलिस अस्पताल में भर्ती मरीजों के स्वजनों का बयान दर्ज कर रही है। फिलहाल दो-तीन लोगों का बयान दर्ज किया गया है। प्रारंभिक जांच में साफ हो गया है कि इसी महीने कोविड अस्पताल की सूची में शामिल इस अस्पताल में आग बुझाने के कोई इंतजाम नहीं किए गए थे।

फायर सेफ्टी विभाग ने एसएसपी रायपुर को सौंपी थी अपनी जांच रिपोर्ट

राजधानी सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल में हुए अग्निकांड के बाद जिला प्रशासन की टीम ने अस्पताल प्रबंधन से पूछे 28 बिंदुओं के सवालों का जवाब तो दे दिया है, लेकिन किसी भी सवाल के एवज में कोई दस्तावेजी सुबूत जमा नहीं किए। अस्पताल प्रबंधन द्वारा सभी दस्तावेज सील अस्पताल में बंद होने की बात कही है।

इसके अलावा फायर सेफ्टी विभाग ने अपनी जांच रिपोर्ट एसएसपी रायपुर को सौंप दी है, जिसमे कई बड़े राज खुले। जांच टीम को अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि 2016 में नगर निगम से फायर एनओसी ली गई। लेकिन कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया। गौरतलब है कि साल 2017 में राज्य में फायर सेफ्टी विभाग की स्थापना हो चुकी थी।

फायर सेफ्टी संसाधनों के नहीं मिले कोई अवशेष

तीन सदस्यीय जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अस्पताल का 26 अप्रैल को निरीक्षण किया गया। इस दौरान पांच बिंदुओं की जांच के दौरान फायर सेफ्टी के संसाधनों के कोई अवशेष नहीं मिले हैं और न ही कोई प्रशिक्षित कर्मचारी अस्पताल में मौजूद था। इसके अलावा जांच टीम ने पाया कि अस्पताल प्रबंधन के पास सिर्फ दो माला बिल्डिंग की अनुमति थी, उसके बावजूद तीसरा माला अवैध रूप से बना रखा था। आपको बता दें कि 17 अप्रैल को अस्पताल में हुए अग्निकांड के दौरान आईसीयू में भर्ती सात कोविड मरीजों की दर्दनाक मौत हुई थी। अब देखने वाली बात ये होगी कि फायर सेफ्टी विभाग की जांच रिपोर्ट मिलने के बाद प्रशासन अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ क्या कार्रवाई करता है?

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