आपत्तिजनक कंटेंट के खिलाफ यू-ट्यूब हमेशा से ही सख्त रवैया अपनाता रहा है। कंपनी कई स्तरों में आपत्तिजनक और कॉपी कंटेंट को फिल्टर करती है और गाइडलाइन के मुताबिक ना पाए जाने पर तुरंत कार्रवाई करती है। इस प्रक्रिया में साल 2018 से अब तक यूट्यूब से 8.30 करोड़ वीडियो हटाए चुके हैं। इनका कंटेंट आपत्तिजनक, कॉपीराइट के खिलाफ या पोर्नोग्राफी था। इसके अलावा 700 करोड़ कमेंट भी हटाए गए हैं।
कंपनी में सुरक्षा और विश्वसनीयता टीम की निदेशक जेनिफर ओ’कॉनर ने कहा कि यू-ट्यूब में आपत्तिजनक वीडियो का प्रतिशत बहुत कम है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम 94% आपत्तिजनक वीडियो किसी के देखने के पहले ही हटा देता है। इसी वजह से हर 10 हजार वीडियो में आपत्तिजनक वीडियो की संख्या सिर्फ 16 से 18 के बीच रहती है।
वीडियो की बड़ी संख्या है चुनौती
यू-ट्यूब में रोजाना करोड़ों वीडियो अपलोड होते हैं। ऐसे में आपत्तिजनक वीडियो का मामूली प्रतिशत भी एक बहुत बड़ी संख्या बन जाता है। तीन साल पहले तक इनका अनुपात 63 से 72 वीडियो 10 हजार होता था। इन वीडियो से ही यूट्यूब और फेसबुक इन दिनों भारी मात्रा में बाकी यूजर्स को कंटेंट परोस रहे हैं।
फेसबुक का तर्क खारिज, डाटा लीक की आयरलैंड भी करेगा जांच
डाटा लीक होने की खबरें सामने आने के बाद फेसबुक ने कहा था कि यह डाटा 2019 का है। लेकिन, आयरलैंड के सुरक्षा आयोग ने इस तर्क को मानने से इंकार कर दिया है। आयोग के उप आयुक्त ग्राहम डॉयल के मुताबिक, फेसबुक के दावों का परीक्षण होगा। लीक हुए डाटा का दुरुपयोग संभव है। इसलिए डाटा को पुराना कहकर खतरों को खारिज करना सही नहीं है। आयोग ने इसकी जांच भी शुरू कर दी है। इस जांच में भारत के 61 लाख और विश्व के 53.3 करोड़ फेसबुक यूजर्स का निजी डाटा लीक होने की हकीकत पता करने की कोशिश की जाएगी। आयोग देखेगा कि डाटा लीक कैसे हुआ और डाटा का क्या दुरुपयोग हुआ या हो सकता है।
यूरोपीय संघ पर भी असर
इस जांच का असर पूरे संघ पर होगा। विशेषज्ञों का मानना कि सर्वर पर निश्चित अवधि में डाटा डिलीट करने के सख्त नियम लागू हो सकते हैं। डबलिन स्थित जांच आयोग यूरोपीय संघ के डाटा संरक्षण नियामक का महत्वपूर्ण अंग है।