फिर थमे किरंदुल-विशाखापट्टनम पैसेंजर ट्रेनों के पहिए: मरम्मत की वजह से किरंदुल तक नहीं जा रही गाड़ियां…लेकिन मालगाड़ियां चल रही हैं
जगदलपुर। किरंदुल-विशाखापट्टनम पैसेंजर ट्रेनों के पहिए एक बार फिर थम गए हैं। जगदलपुर से किरंदुल के बीच रेलवे मार्ग में स्थित 3 ब्रिज के मरम्मत का काम किया जा रहा है। इसी वजह से 6 दिनों तक पैसेंजर ट्रेनों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। जगदलपुर से दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल तक पैसेंजर ट्रेनें नहीं आ रही हैं। वहीं अब किरंदुल-विशाखापट्टनम पैसेंजर ट्रेनों का अंतिम स्टॉपेज जगदलपुर हो गया है।
हालांकि, किरंदुल से विशाखापट्टनम तक मालगाड़ियों का परिचालन लगातार होता रहेगा। पिछले 10 दिनों में दूसरी बार पैसेंजर ट्रेनों के परिचालन पर रोक लगी है। रेलवे के सीनियर SMR एमआर नायक ने बताया कि, मरम्मत काम के चलते विशाखापट्टनम से आ रही यात्री ट्रेनों को जगदलपुर में रोकने का निर्णय लिया गया है। यहीं से ट्रेनें फिर से विशाखापट्टनम लौट जाएंगी।
इन जगहों पर चल रहा है काम
किरंदुल विशाखापट्टनम रेलवे मार्ग पर स्थित ब्रिज नंबर 1252 ‘ए’ में 28 से 29 अप्रैल से मरम्मत का काम शुरू कर दिया गया है। जबकि, ब्रिज नंबर 1232 और 1036 में भी आरसीसी ब्लॉक्स को बदलने का काम किया जाएगा। बताया जा रहा है कि 6 दिनों में काम पूरा कर लिया जाएगा। इसी वजह से यात्री ट्रेनों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है।
25 अप्रैल को भी बंद था परिचालन
दरअसल, 25 अप्रैल को माओवादियों ने दंडकारण्य बंद का ऐलान किया था। इसी वजह से रेलवे ने 2-3 दिन पहले से ही किरंदुल-विशाखापट्टनम पैसेंजर ट्रेन का किरंदुल तक परिचालन बंद कर दिया था। क्योंकि, इस रेलवे मार्ग को नक्सली अक्सर अपना निशाना बनाते हैं। रेलवे ट्रैक उखाड़ कर वारदात को अंजाम देते हैं। इसी वजह से रेलवे ने ट्रेनों के नहीं चलने का निर्णय लिया था।
2 यात्री ट्रेनों का होता है परिचालन
किरंदुल से विशाखापट्टनम तक केवल 2 यात्री ट्रेनों का परिचालन किया जाता है। जिनमें एक दिन की है तो दूसरी नाईट एक्सप्रेस है। रोजना सैकड़ों यात्री ट्रेन से विशाखापट्टनम और ओडिशा का सफर तय करते हैं। दंतेवाड़ा जिले से भी रोजाना 200 से ज्यादा यात्री आवाजाही करते हैं।
लोगों ने कहा- जब मालगाड़ी जा सकती है तो पैसेंजर क्यों नहीं?
बार-बार किरंदुल-विशाखापट्टनम ट्रेन का परिचालन बंद किए जाने की वजह से अब लोगों में भी काफी नाराजगी देखने को मिल रही है। जिलेवासियों का कहना है कि जब इसी रूट से मालगाड़ियों का परिचालन किया जा सकता है तो आखिर पैसेंजर ट्रेनों के परिचालन पर ब्रेक क्यों लगाया जा रहा है? मेडिकल कामों के लिए विशाखापट्टनम जाना पड़ता है। ऐसे में काफी दिक्कतें होती है।